मानस पूजा कैसे करें
शास्त्रों में पूजा को हजार गुणा अधिक महत्वपूर्ण बनाने के लिए एक उपाय बताया गया है और वह है मानस पूजा। आज के इस दिखावे के युग में इसका महत्व और भी बढ़ गया है। यह संपूर्ण आडंबरों से पीछा छुड़ाती है। निर्धन केतु भावप्रिय भक्तों की पूजा को धनवानों की पूजा से करोड़ों गुणा उत्तम कर देती है। मानस पूजा के अंतर्गत मन कल्पित पुष्प, प्रसाद, वस्त्र, सोना, चांदी, हीरे-जवाहरात, चंदन, तिलक,आरती आदि किसी भी वस्तु का समर्पण भगवान को कर दिया जाए तो वह करोड़ों गुना अधिक हो जाता है। वास्तव में भगवान को किसी वस्तु की आवश्यकता नहीं है। वे तो भाव के भूखे हैं। अगर कोई भक्त प्रेमभाव से मन ही मन कोई भगवान को अर्पित करता है तो भगवान उसे स्वीकार करते हैं । बाद में अगर समय हो तो आप बाह्य वस्तुओं से भी पूजा कर सकते हैं। सर्वप्रथम मन में भगवान को कुछ अर्पित करने का संकल्प होना चाहिए। मनुष्य का भगवान को कुछ अर्पित करने या मानस बनाना ही पर्याप्त है। अगर आप समर्थ हैं और धन को बचाने के लिए ऐसा करते हैं तो यह व्यर्थ है। आप समर्थ हैं और केवल ज्योतिषियों या पुजारियों के कहने से ऐसा करें हैं तो भी व्यर्थ है। मानस पूजा किसी भी जगह, किसी भी समय केसी भी परिस्थिति में हो सकती है। इसमें भक्त की भावना का अर्पण होता है। पूजन के लिए फर्श या तल में आसन पर बैठकर पालती मारते क भगवान का स्मरण करके भगवान की पूजा कर सकते हो। इससे साधक भगवान के निकट पहुंच जाता है। उसे ज्ञान हो जाता है कि वह भगवान को वस्तु को भगवान को ही समर्पित कर रहा है। बाद में अगर चाहे तो वह बाह्य वस्तु से मंदिर में पूजा कर सकता है। मानस पूजा अपने घर अथवा अपने शहर में नहीं करनी चाहिए। मानस पूजा ट्रेन में,जहाज में, स्टेशन पर अथवा यात्र के समय, जहां हमारे पास न तो समय है और न ही वस्तु तो वहां करनी चाहिए। मानस पूजा श्रद्धा पूर्वक भक्ति भाव से करने पर पूर्ण फलदायक होती है।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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