यदि हम कुछ बुरे सपने देखे अनिष्ट सपने देखे तो उनका निराकरण कैसे करना चाहिए।
क्या अशुभ स्वप्न फलीभूत होते हैं, क्या बुरे सपने साकार हो जाते हैं।
हम जो सपने देखते हैं जरूरी नहीं कि वह साकार हो जाए सपने कई बार हमारे विचारों का नतीजा होते हैं लेकिन कई बार सपने सही भी हो जाते हैं।
पूज्य आचार्य श्रीराम शर्मा जी कहते हैं- अशुभ स्वप्नों के निवारण का भी विधान है। इनकी शांति के अनेक विधान हैं। इसके लिए स्नान करना चाहिए। स्वप्न विशेषज्ञ एवं समर्थ व्यक्ति को इसकी जानकारी देकर आवश्यक धार्मिक कृत्य करना चाहिए।
माता-पिता, गुरु, ब्राह्मणों का पूजन करने से भी अरिष्ट स्वप्न का फल कम होता है। तिल का हवन, पुरुष सूक्त, गायत्री मंत्र जाप, विष्णु सहस्रनाम, गजेंद्र मोक्ष, दुर्गा सप्तशती का पाठ करने पर भी अशुभ स्वप्न का निराकरण होता है।
भक्ति-भाव से विष्णु, नारायण, कृष्ण, माधव, मधुसूदन, हरि, नरहरि, राम, गोविंद, दधिवामन, इन दस नामों का सौ बार जप करने से भी दुःस्वप्नों का परिणाम नहीं रहता है। शमी दुःस्वप्न नाशिनी कहलाती है। अतः शमी पूजन से दुःस्वप्नों की शांति होती है। सूर्योदय के समय गायत्री मंत्र के जप करने से सारे दुःस्वप्न एवं उसके परिणाम समाप्त होते हैं।
स्वप्न विज्ञान बड़ा ही रहस्यमय है। जो भी हो, स्वप्न हमारी अचेतन की अभिव्यक्ति है। अतः चेतना का परिष्कार करके ही स्वप्नों की समस्याओं का सार्थक समाधान पाया जा सकता है। चेतना के परिष्कार के साथ ही स्वप्न का स्वरूप बदल जाता है। चेतना की उच्चस्तरीय कक्षा में प्रविष्ट करने वाले साधकों एवं सिद्धों के स्वप्न कभी व्यर्थ नहीं होते हैं। वे आगत एवं विगत, सभी कुछ स्वप्नों के माध्यम से देख सकते हैं। इसके लिए गायत्री मंत्र सर्वश्रेष्ठ है, जिसका जप करके हम अपनी चेतना को परिमार्जित एवं परिशोधित करते हैं। इसके द्वारा हम स्वप्नों की गुत्थियों को भी सुलझा सकते हैं।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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