Published By:धर्म पुराण डेस्क

रिश्तों को कैसे निभाएं, रिश्तों में मनभेद हो या मतभेद

चैतन्या कई मामलों में घर के बड़े सदस्यों की सलाह या सुझाव भी एक से नहीं होते हैं। यहां तक कि कई बार तो आपस में बहस भी हो जाती है। ऐसे में रिश्ते-नातों में खुशनुमा साथ और समझ को कायम रखने के लिए कुछ बातों पर ध्यान दिया जाना बेहद जरूरी है।

सभी की राय का सम्मान ..

अपनों के बीच सभी को अपनी राय रखने का हक होना चाहिए। साथ ही बच्चे हों या बड़े, हर किसी के विचार सुनने और समझने की कोशिश भी जरूरी है। पारिवारिक मामला हो या सामाजिक जीवन से जुड़ा विषय, रिश्तों के ताने-बाने से बंधे लोगों में सभी के विचार अलग- अलग भले ही हों, उनको मान देना और कही जा रही बात को सुनना सबसे जरूरी है। 

हमारे घरों में आमतौर पर बच्चों के विचार इस अनदेखी का सबसे ज्यादा शिकार होते हैं। कई बार तो उनसे जुड़ी बातों पर ही उनके विचार नहीं सुने जाते। ऐसा नहीं होना चाहिए। 

किसी की राय को मानने के पहले कई बातों पर विचार करना होता है। लेकिन उससे पहले सभी की राय को मान देते हुए मन से सुनना जरूरी है। इससे रिश्तों में दरार नहीं आती।

रिश्तों को सहेजने के लिए ..

रिश्तों को बनाए रखने के लिए भी मतभेद और मनभेद का अंतर समझना जरूरी है। यूं भी विचारों का विरोध या समर्थन कभी भी व्यक्तिगत रिश्तों पर हावी नहीं होना चाहिए क्योंकि मन में दूरियां आ जाएं तो उन्हें पढ़ना मुश्किल हो जाता है। 

रिश्ता कोई भी हो उसमें 'बॉस' बनने का भाव नहीं चल सकता, इसलिए सहमति हो या असहमति सभी के विचारों को सुना जाना चाहिए। विचार थोपने के बजाय अपना नजरिया समझाने और सामने वाले इंसान का नजरिया समझने की कोशिश की जानी चाहिए। 

यह व्यक्तिगत रूप से किसी की करने का मामला तो है ही संबंधों को खुशनुमा बनाए रखने वाला भाव भी है, जो रिश्तों को और मजबूती देता है। सम्मान और बराबरी का भाव लाता है।

निबाह के लिए आपसी समझ भी जरूरी ..

किसी भी रिश्ते की निबाह के लिए आपसी समझ का होना बहुत जरूरी है। यदि हम एक-दूसरे की भावनाओं को आसानी से समझ जाएं तो फिर तकरार जैसी कोई बात हो ही ना। 

यह केवल हम उम्र लोगों के साथ ही नहीं बल्कि बड़े-छोटों के बीच भी हो सकता है। यहां जनरेशन गेप कोई मायने नहीं रखती, सिर्फ आपसी समझ ही एक-दूसरे को पास ला सकती है।


 

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