 Published By:धर्म पुराण डेस्क
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मुरब्बा विशेष रूप से सेब, आंवला, बेल, हरड़, गाजर, नाशपाती, पेठा, अदरक, आदि का बनाया जाता है। मुरब्बे के लिए गूदेदार फल अच्छे रहते हैं। फल ज्यादा पका या ज्यादा कच्चा नहीं होना चाहिए। आंवला और हरड़ को छोड़ सब के छिलके हटा कर मुरब्बा बनाना चाहिए।
विधि- अदरक या जिस फल का मुरब्बा बनाना हो उसे पहले पानी से खूब धोकर साफ़ कर लें। छील लें और गुठली वाला फल हो तो गुठली हटा दें। चाकू से फल के बड़े-बड़े टुकड़े कर लें और स्टील के कांटे या चाकू से टुकड़ों को गहराई तक छेद-छेद कर गोद डालें। गुदाई इस तरह से करें कि गहराई तक सुराख हो जाए ताकि चाशनी फल के बीच तक पहुंच सके, पर टुकड़े या फल का आकार न बिगड़े।
गुदाई करके फलों वा फल के टुकड़ों को नमक के घोल या चूने के पानी या फिटकरी के पानी में डाल कर रात भर रखें। यह घोल दो प्रतिशत की मात्रा में बनाया जाता है यानी जितना पानी हो उसका 2 प्रतिशत भाग नमक, चूना या फिटकरी डाल लें।
सुबह इनको पानी से निकाल कर अच्छे साफ पानी से खूब धो लें और खूब उबलते हुए पानी में 5 से 10 मिनट तक रखें ताकि टुकड़े नरम पड़ जाए। इसके बाद टुकड़े निकाल ले। एक किलो टुकड़े हों तो डेढ़ किलो चीनी की चाशनी बनाएं। बनाते समय थोड़ा सा साइट्रिक एसिड डाल देने से चाशनी में दाने नहीं पड़ते।
फल के या अदरक के टुकड़े इस चाशनी में डुबोकर रात भर रखें और सुबह इसे आग पर चढ़ा कर थोड़ी देर उबालें ताकि चाशनी अंदर तक पहुंच जाए फिर उतार लें। फिर दो तार की चाशनी अलग से तैयार करें और इसमें डाल कर फिर आग पर रख कर उबालें।
जब चाशनी शहद जैसी गाढ़ी हो जाए तब उतार कर ठंडा कर लें और चौड़े मुंह के मर्तबान या कांच की बरनी में भर कर अच्छी तरह एयर टाइट ढक्कन लगा कर रखें। मुरब्बा तैयार है। इसी विधि से अन्य फलों का मुरब्बा भी बनाया जा सकता है।
 
 
                                मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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