विभिन्न रोगों में बर्फ के प्रयोग में रखें ये सावधानियां..
बर्फ के प्रयोग-
कुछ रोगों की शांति के लिए अत्यंत शीतल जल आवश्यक होता है। ऐसे में बर्फ का उपयोग किया जाता है।
रोगी के शरीर के किसी भी भाग से रक्तस्राव होता हो, तो उसे बंद करने के लिए बर्फ का प्रयोग आश्चर्यजनक है। मुंह, गला, नाक, योनि, गुदा आदि शरीर के जिस अंग से खून आता हो, वहां रबर की थैली में बर्फ भरकर रखने से रक्त प्रवाह बंद हो जाता है।
फेफड़ों से कभी-कभी ऐसा रक्तस्राव होता है कि रोगी खून की उल्टियां करने लगता है। ऐसे में उसकी छाती पर बर्फ रखकर उसे 2-4-5 टुकड़े बर्फ निगलवा दें। पेट में वे टुकड़े पहुंचते ही खून आना बंद हो जाएगा, क्योंकि रक्तवाहिनी नलियों में जो छेद हो जाते हैं, वे बर्फ की ठंडक से सिकुड़ जाते हैं। बर्फ के उपचार में यह ध्यान रहे कि वृद्धों और शक्तिहीन मनुष्यों पर यह उपचार न किया जाए।
जल-चिकित्सा में शुद्ध-साफ जल ले। जलाशय में सड़ी चीजें डालने या वृक्षों के पत्ते गिरने से पानी खराब हो जाता है। ऐसे पानी का उपयोग न करें। पानी भरने के पात्र भी साफ हो। बर्तन में पानी भरे 12 घंटे से अधिक हो गए हों, तो उसे काम में नहीं लें। बरसाती नदियों का पानी भी इस कार्य के लिए वर्जित है। जल | चिकित्सा लेने वाला खानपान में सावधानी रखकर हल्का और सात्विक भोजन लें। मिठाई, नमक व मिर्च-मसाले बंद रखकर ताजे फल अधिक लेना चाहिए।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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