 Published By:धर्म पुराण डेस्क
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सावन का महीना आज से शुरु हो रहा है। हिंदू धर्म में सावन के महीने का बहुत अधिक महत्व होता है। सावन का महीना हिंदू पंचांग का पांचवा महीना होता है। ये महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। इस महीने में भगवान शिव की विधि- विधान से पूजा- अर्चना की जाती है। सावन के महीने के सोमवार का महत्व और भी अधिक होता है। इस माह में शिव की पूजा- अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
श्रावण मास भगवान शिव को समर्पित है। इस महीने से आरंभ में भगवान विष्णु योगनिद्रा में लीन हो जाते हैं और भगवान शिव संसार सागर की कमान संभाल लेते हैं। इस वर्ष श्रावण मास आज से शुरू होकर 12 अगस्त तक चलेगा। इन दिनों, शिव भक्त पवित्र नदियों से जल लाकर भगवान का अभिषेक करते है। सावन के सोमवार का व्रत और भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजा अर्चना की जाती है। इस महीने में भक्त भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए तरह-तरह के प्रयास करते हैं। वैसे तो भगवान भोलेनाथ सब पर कृपा बरसाते हैं। सावन का पहला सोमवार- 18 जुलाई को पड़ेगा।
सावन के महीने का बहुत अधिक महत्व होता है। इस महीने में भगवान शिव की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। इस माह में किए गए सोमवार के व्रत का फल बहुत जल्दी मिलता है। जिन लोगों के विवाह में परेशानियां आ रही हैं उन्हें सावन के महीने में भगवान शंकर की विशेष पूजा करनी चाहिए। भगवान शिव की कृपा से विवाह संबंधित समस्याएं दूर हो जाती हैं। इस माह में शिव की पूजा करने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है और मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है।
सावन महीने में सुबह जल्दी उठकर पूजा करने का महत्व है। सुबह जल्दी उठ जाएं और स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ वस्त्र धारण करें। घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें। शिवलिंग का गंगाजल, घी, शहद, दही और दूध से अभिषेक करें । भगवान शिव को बेलपत्र अत्यंत प्रिय हैं। बेलपत्र पर राम भगवान का नाम लिखकर शिवलिंग पर अर्पित करें, पुष्प अर्पित करें। भगवान शिव की आरती करें और भोग भी लगाएं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान शिव का अधिक से अधिक ध्यान करें।
भगवान शिव की पूजा में प्रयोग होने वाली सामग्री के रूप में पुष्प, पंच फल पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगाजल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें,तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री को शामिल किया जाता है।
 
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