मध्य प्रदेश के ओरछा के रामराजा सरकार की दिनचर्या में आज से बदलाव हो गया है। शरद पूर्णिमा के अगले दिन यानी कार्तिक महीना शुरु होने के बाद आज यानी कि 10 अक्टूबर से रामराजा सरकार सुबह एक घंटे की देरी से उठेंगे और रात में एक घंटा पहले ही विश्राम करेंगे।
हर साल मौसम बदलने के साथ ही मंदिर का समय भी बदल दिया जाता है। ये देश में ऐसा इकलौता मंदिर है, जहां पर श्रीराम को राजा के रूप में पूजा जाता है। उनकी सेवा-पूजा, सत्कार राजा की तरह किया जाता है। दरबार खुलने की परम्परा का राजसी तरीके से ही निर्वहन किया जाता है।
सोमवार से श्री रामराजा सरकार का दरबार सुबह 9 बजे से दोपहर 1 बजे तक और शाम के 7 बजे से रात 9.30 बजे तक श्रद्धालुओं के लिए खुला रहेगा। यहां भक्त इसी दौरान अपने भगवान के दर्शन कर सकते हैं।
मंदिर में चली आ रही राजश्री परंपरा के अनुसार हर साल गर्मी और बारिश के आठ माह फाल्गुन से कुंवार के महीने की शरद पूर्णिमा तक श्री रामराजा सरकार का दरबार सुबह 8 बजे से दोपहर 12.30 बजे तक खुलता है। दोपहर में राजभोग आरती के बाद भगवान विश्राम करते हैं। इसलिए दोपहर में मंदिर के पट बंद रहते हैं, जबकि संध्या आरती शाम को 8 बजे और रात को 10.30 बजे शयन आरती होती है।
बदले समय के बाद सोमवार से 7 बजे संध्या आरती व रात 9.30 बजे शयन आरती होगी।
यहां भगवान राम की राजा के रुप में तो पूजा ही जाता है, लेकिन राजा होने के नाते उन्हें दिन के चार पहर सलामी भी दी जाती है। यह परम्परा यहां अंग्रेजी शासन काल के पहले से चली आ रही है। वर्तमान में यहां पर एमपी पुलिस बंदूकों से राम राजा को सलामी देती है। ये वो नगरी है, जहां भगवान के अलावा किसी भी वीआईपी को सलामी नहीं दी जाती।
कहा जाता है कि श्रीराम के दो निवास हैं, दिनभर ओरछा में रहने के बाद रामराजा सरकार शयन के लिए अयोध्या चले जाते हैं। प्रतिदिन रात में ब्यारी की आरती होने के बाद ज्योति निकलती है, जो कीर्तन मंडली के साथ पास ही पाताली हनुमान मंदिर ले जाई जाती है। मान्यता है कि ज्योति के रूप में भगवान श्रीराम को हनुमान मंदिर ले जाया जाता है, जहां से हनुमान जी शयन के लिए भगवान श्रीराम को अयोध्या ले जाते हैं।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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