Published By:धर्म पुराण डेस्क

सिस्ट हो तो बच्चे होंगे मुश्किल से

हार्मोनल डिस्टर्बस-

पीसीओएस महिलाओं में हारमोन संबंधी गड़बड़ियों का एक प्रमुख कारण है और यह लगभग 10 प्रतिशत महिलाओं को प्रभावित करता है। 

चेहरे या शरीर के अन्य हिस्सों पर मुलायम बालों का होना सामान्य है, मगर जब ये बाल कड़े होने लगे तो इन संकेतों को नजरअंदाज करें। महिलाओं में मध्य रेखा, ठोड़ी स्तनों के बीच, जांघों के अंदरूनी भागों, पेट या पीठ पर बाल होना पुरुष हार्मोन एंड्रोजन के अत्यधिक स्रावित होने का संकेत है, जो एड्रीनल्स द्वारा या फिर कुछ अंडाशय रोगों के कारण स्रावित होता है, इस प्रकार की स्थितियां अण्डोत्सर्ग में रुकावट डालकर प्रजनन क्षमता को कम कर देती है। 

पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम एक ऐसी ही स्थिति है, जो महिलाओं में बालों के अनचाहे विकास से संबंधित है यह डायबिटीज व हृदय रोगों का प्रमुख खतरा भी है।

चेहरे पर बाल उगना है पहला संकेत- महिलाओं में हल्के और मुलायम फेशियल हेयर होना सामान्य बात हो सकती है, लेकिन जब बाल कड़े और मोटे होते हैं तो यह हार्मोन असंतुलन का संकेत है, जिसके कारण कई जटिलताएं हो सकती हैं, इस समस्या को हिर्सुटिज़्म के नाम से जाना जाता है। 

जो महिलाएं पीसीओएस से ग्रस्त होती हैं, उनके चेहरे पर बालों का अत्यधिक विकास होता है और यह प्रजनन स्वास्थ्य में कमी का सबसे प्रमुख कारण हो सकता है, पीसीओएस के कारण अंडाशय में कई छोटी-छोटी गांठ बन जाती है, पुरुष हार्मोन के अत्यधिक उत्पादन के कारण अनियमित अंडोत्सर्ग, मासिक चक्र से संबंधित गड़बड़ियां और मोटापे की समस्या हो जाती है।

कुछ मामलों में एंड्रोजन के कारण होने वाला अंडाशय का ट्यूमर, हिर्सुटिज़्म का कारण बन जाता है, जिसके कारण ट्यूमर तेजी से विकसित होने लगता है, इस स्थिति के कारण महिलाओं में पुरुषों के समान गुण विकसित होने लगते हैं जैसे आवाज में भारीपन आना, इसके अलावा योनि में क्लाइटोरिस का आकार बढ़ जाना। 

एड्रिनल ग्रंथियां, जो किडनी के ठीक ऊपर होती है, एंड्रोजन का निर्माण भी करती है, इन ग्रंथियों के ठीक प्रकार से काम न करने से हिर्सुटिज़्म की समस्या हो सकती है।

निदान : यौवन किस उम्र में प्रारंभ हुआ, बालों के विकास की दर क्या है (अचानक है या धीरे-धीरे), दूसरे लक्षण जैसे अनियमित मासिक चक्र, स्तनों में ऊतकों की कमी, सेक्स करने की प्रबल इच्छा होना, वजन बढ़ा और डायबिटीज का इतिहास, इस बात की भी जांच की जाती है कि पेट में कोई पिंड तो विकसित नहीं हो रहा है।

टेस्टोस्टेरोन-

अगर इसका स्तर सामान्य से थोड़ा बढ़ जाता है तो यह पीसीओएस या सीएएच का संकेत है। अगर इसके स्तर में परिवर्तन सामान्य से बहुत अधिक होता है तो यह ओवेरियन ट्यूमर का संकेत हो सकता है।

सीरम टीएसएच-

थायराइड को स्टिम्युलेट करने वाले हार्मोन का स्तर कम होने से हाइपोथायरायडिज्म महिलाओं में प्रजनन संबंधी समस्याओं का कारण बनती है।

प्रोजेस्टेरोन-

यह टेस्ट मासिक चक्र के प्रारंभिक चरण में किया जाता है, सीएएच के संकेत के रूप में हारमोंस का उच्च स्तर पीसीओएस का संकेत देता है, अगर प्रोलैक्टिन हार्मोन का स्तर बढ़ा होता है, तो यह इस बात का संकेत है कि मरीज हाइपर प्रोलैक्टीमिया से पीड़ित है।

पेल्विक अल्ट्रासाउंड : यह जांच ओवेरियन नियोप्लाज्म या पोलिसिस्टिक का पता लगाने के लिए की जाती है। उपचार निसंतानता की स्थिति में हिर्सुटिज़्म का उपचार करने को प्राथमिकता दी जाती है, इसलिए उपचार उस समस्या पर केंद्रित होता है जो इसका कारण बनी है। 

अगर कोई महिला गर्भधारण करना चाहती है, तो एंड्रोजन के स्तर को नियमित करने के लिए दवाएं दी जाती हैं, जिन का सेवन रोज करना होता है, ये टेस्टोस्टेरोन के स्तर को कम करने और प्रजनन क्षमता फिर से पहले जैसी करने में सहायता करती है। ऐसी महिलाओं में गर्भाधान करने में आईवीएफ तकनीकी सहायक हो सकती है।

डॉ. अमर कारिया





 

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