अवसाद (depression) के लिए ..
मानसिक बीमारियों में अवसाद एक ऐसी समस्या है, जो बहुत ही सामान्य होती जा रही है। कई लोग तनाव व अवसाद को एक ही मान लेते हैं और एक ही तरह का इलाज बता देते हैं।
मनोवैज्ञानिक इसकी अलग-अलग परिभाषा देते हैं। इनका यौगिक उपचार भी अलग तरीके से ही किया जाना चाहिए। अंतर्मुखी स्वभाव के ये व्यक्ति ध्यान और योग-निद्रा को ज्यादा पसंद करते हैं; परन्तु उन्हें यह अभ्यास कतई नहीं करना चाहिए, क्योंकि उन्हें वहाँ से बाहर निकालने के लिए जो क्रम अपनाना चाहिए वह कुछ ऐसे अभ्यास हों जो ऊर्जा दे और अंदर की ग्रन्थियाँ खोले।
अवसाद ग्रस्त लोग अधिक (तीव्र) अवसाद की अवस्था में इतने कमजोर हो जाते हैं कि कुछ भी करने में परेशानी महसूस करते हैं। इसलिए कुछ ऐसे ही चुने हुए अभ्यास करने चाहिए जो सामान्य रूप से किये जा सके।
आसन : ताड़ासन, तिर्यक ताड़ासन, कटि आसन ( 5-5 चक्र), सूर्य नमस्कार या प्रज्ञा योग व्यायाम (क्षमतानुसार) शवासन में श्वसन प्रक्रिया पर ध्यान मार्जारी आसन, शशक-भुजंगासन, गोमुखासन, सिद्धासन, सिंह गर्जना 5 से 10 चक्र (सुबह- शाम)। काष्ठ तक्षण आसन 5-7 चक्र (सुबह-शाम)।
प्राणायाम : नाड़ी शोधन, भस्त्रिका।
क्रियाएँ : जलनेति (सप्ताह में दो दिन), वमन (सप्ताह में तीन दिन), कपालभाति (25 से 50 चक्र नियमित)।
विशेष : महामृत्यंजय मंत्र जप, सोऽहम साधना, ॐ उच्चारण।
सावधानियां : योग निद्रा या अन्य ध्यान व्यक्ति को अधिक अन्तर्मुखी बनाता है, इसलिए इसका अभ्यास अवसाद ग्रसित लोगों के लिए लाभदायक नहीं होगा।
अन्य सलाह : दिनचर्या नियमित करें और भोजन में राजसिक चीजों का प्रयोग करें।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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