 Published By:धर्म पुराण डेस्क
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कैंसर उत्पत्ति में आहार द्रव्यों की भूमिका-
यद्यपि अभी तक निश्चित रूप से यह ज्ञान नहीं हो सका कि किन विशेष आहार द्रव्यों के खाने अथवा न खाने से कैंसर की उत्पत्ति को रोका जा सकता है। तथापि इस सम्बन्ध में किये गये सूक्ष्म अध्ययनों से कुछ महत्वपूर्ण संकेत मिले हैं।
1. विटामिन ए, सी तथा सेलेनियम (Selenium) धातु तत्व जिन भोज्य पदार्थों में समुचित मात्रा में विद्यमान हो ऐसे पदार्थों के नियमित सेवन से कैंसर की उत्पत्ति अपेक्षाकृत कम होती है।
जैसा कि ऊपर कहा गया है कार्सिनोमा (Carcinoma) प्रकार का कैंसर शरीर की उपकला (epithelial) जो पूरी आहार प्रणाली तथा श्वांस प्रणाली आदि को भीतर से आच्छादित किये रहती है, उस उपकला में उत्पन्न होता है।
विटामिन ए शरीर के सभी भागों में उपकला को स्वस्थ रखने एवं उसके व्याधिक्षमत्व बल में वृद्धि करने में सहायक है प्रयोगों द्वारा सिद्ध हो चुका है कि जो धूम्रपान करने वाले व्यक्ति विटामिन ए युक्त आहार द्रव्यों गाजर, पालक, मेथी, दूध, अंडे आदि प्रचुर मात्रा में प्रयोग करते हैं उनमें कैंसर अपेक्षाकृत का कम होता है ।
अधिक मात्रा में विटामिन कैप्सूल रूप में लेने से विषाक्तता के लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं अतः इस आहार द्रव्यों के रूप में ही लेना चाहिये तदर्थ गाजर का रस 50 मि० ली० प्रतिदिन नियमित रूप से लेना पर्याप्त है गाजर में विटामिन ए अपने पूर्ववर्ती यौगिक कैरोटीन (Carotene) के रूप में विद्यमान होता है।
कैरोटीन के अधिक सेवन से विषाक्तता की आशंका भी नहीं रहती। चौलाई, पान के पत्ते, सलाद, मूली के पत्ते, पालक, धनिया, काली मिर्च व लोकाट, आम, रसभरी, अंकुरित अनाज में विटामिन ए पर्याप्त मात्रा में विद्यमान होता है।
इसी प्रकार विटामिन सी भी नवीन खोजों के अनुसार शरीर के व्याधिक्षमत्व बल को बढ़ाता है तदर्थ प्रतिदिन एक आमला अथवा एक संतरे का सेवन पर्याप्त है। इसके अतिरिक्त यह विटामिन नींबू, मौसमी, माल्टा, किनू, टमाटर, आम, हरी मिर्च, जामुन, अमरूद, मूली के पत्ते, बंद गोभी, काजू आदि में बहुत पाया जाता है।
अनाज, मांस, मछली, अंडे आदि में एक विशेष धातु तत्व सेलेनियम (Selenium) पाया जाता है, जो कैंसर रोधी प्रभाव रखता है। प्रतिदिन 100 मि० ग्रा० इसकी मात्रा मनुष्य के लिये पर्याप्त है, इतनी मात्रा सामान्य भोजन से स्वतः पूरी हो जाती है। अतः स्वास्थ्य संरक्षण हेतु इस धातु को अलग से लेने की आवश्यकता नहीं पड़ती।
कतिपय फलों तथा बंद गोभी व फूल गोभी आदि सब्जियों में पीत वर्ण यौगिक फ्लेवोन (Flavonoids) तथा कार्यकाल में मिलते-जुलते यौगिक फिनोल (Phenols) पाये जाते हैं। अनुसन्धानों से देखा गया है कि इन दोनों यौगिकों का यद्यपि शरीर के पोषण से कोई सम्बन्ध नहीं तथापि वह शरीर में कैंसर की उत्पत्ति एवं वृद्धि पर नियंत्रण रखने में सहायक है ।
इसके अतिरिक्त यह भी देखा गया है कि रेशेदार (Fibrous) आहार के सेवन से आमाशय एवं आंत में कैंसर होने की सम्भावना कम रहती है। जबकि तले हुए एवं पिष्टी युक्त आहार लेने के अभ्यासियों में इस रोग की आशंका अधिक होती है सारांश यह कि फल, सलाद एवं सब्जियां, दूध, घी, चोकरयुक्त अन्न आदि को समुचित मात्रा में सेवन करते रहने से जहां सामान्य स्वास्थ्य सम्यक् रूप से बना रहता है वहाँ कैंसर जैसे भयावह रोग से ग्रस्त होने की संभावना भी बहुत कम हो जाती है ।
 
 
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