Published By:धर्म पुराण डेस्क

सितंबर माह के महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार, जानिए 

सितंबर माह हिन्दू पंचांग के अनुसार बहुत ही महत्वपूर्ण व्रत और त्योहारों से भरपूर होता है, जो धार्मिक और सामाजिक महत्व रखते हैं। यहां सितंबर में मनाए जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार की सूची है:

कजरी तीज (दो सितंबर): कजरी तीज भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लम्बी आयु और खुशियों की कामना करती हैं।

हेरंब संकष्टी चतुर्थी (तीन सितंबर): हेरंब संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है और संकष्टों का निवारण करने के लिए पूजा की जाती है।

हलषष्ठी (पांच सितंबर): हलषष्ठी को विशेष रूप से भूमि की कामना करने के लिए मनाया जाता है, और इसे किसानों और कृषि से जुड़े लोग मनाते हैं।

जन्माष्टमी (छह सितंबर और सात सितंबर): जन्माष्टमी भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है, और भगवान कृष्ण की मूर्ति पूजा की जाती है।

अजा एकादशी (10 सितंबर): इस दिन एकादशी व्रत रखा जाता है, और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।

हरतालिका तीज (18 सितंबर): हरतालिका तीज भगवान गणेश की माता पार्वती के लिए भक्ति और पति के दीर्घायु की कामना करने के लिए मनाया जाता है।

गणेश चतुर्थी (19 सितंबर): गणेश चतुर्थी को भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है, और उनकी मूर्ति पूजा की जाती है।

विश्वकर्मा जयंती (17 सितंबर): विश्वकर्मा जयंती को शिल्पकला और विशेषज्ञता के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है, और विश्वकर्मा भगवान की पूजा की जाती है।

भुवनेश्वरी जयंती (23 सितंबर): भुवनेश्वरी जयंती पूर्वी भारत के खास रूप से उड़ीसा में मनाई जाती है और माता भुवनेश्वरी की पूजा की जाती है।

पर्यूषण पर्व (12 सितंबर): पर्यूषण पर्व जैन धर्म के अनुयायियों द्वारा मनाया जाता है और यह ध्यान और आत्मा के शुद्धि के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।

इन व्रतों और त्योहारों के साथ, सितंबर में ग्रह गोचर (प्लेनेटरी मूवमेंट्स) भी बदलते हैं, जिनमें बृहस्पति के मेष राशि में वक्री होना, शुक्र के कर्क राशि में मार्गी होना, सूर्य का कन्या राशि में प्रवेश करना, और मंगल के कन्या राशि में अस्त होना शामिल हैं। ये ग्रह गोचर जातकों के जीवन पर प्रभाव डाल सकते हैं और उनके लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं।

सितंबर माह में ये व्रत और त्योहार धार्मिक और सामाजिक एकता का प्रतीक हैं, और लोग इन्हें भक्ति और समर्पण के साथ मनाते हैं, जिससे उनका आत्मिक और सामाजिक विकास होता है।

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