इन दोनों संहिताओं में हनुमान की पूजा की अवधारणा सुलभ रूप से उपलब्ध है और इसमें विशेष बल एवं उपास्यता का महत्त्वपूर्ण रूप से वर्णन है।
पराशर-संहिता:
पराशर-संहिता में हनुमान की पूजा के लिए विशेष मंत्र एवं स्तोत्रों का वर्णन किया गया है। यहां हनुमान को वीर, बलवान, अनुग्रहकारी, श्रीहनुमान, अन्जनी-पुत्र, राम-भक्त, अक्षय-तेजस्वी आदि विभिन्न भावनाओं से सुसज्जित किया गया है। पराशर-संहिता के अनुसार, हनुमान की पूजा से भक्त को सुख, शांति, आरोग्य, और मनोबल मिलता है।
सुदर्शन-संहिता:
सुदर्शन-संहिता भी हनुमान की पूजा को महत्त्वपूर्ण रूप से बताती है। इस संहिता में हनुमान को श्रीराम के भक्त, अन्जनी-सुत, पवन-पुत्र, वीर, वायुपुत्र, बजरंगबली, राक्षस-बद्धकर्ण, वानर-राज, वीर हनुमान आदि कहकर स्तुति की गई है। सुदर्शन-संहिता का अध्ययन करने से हनुमान की अनुपम कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है जो शरणागत भक्तों को सदैव सुरक्षित रखता है।
कविता 'श्रीहनुमान्' के साथ:
इस लेखक डॉ. ममता मिश्र 'दाश' द्वारा रचित कविता में हनुमान की उपासना का भावपूर्ण वर्णन किया गया है। हनुमान के गुणगान, भक्ति, और उनकी महिमा को सुंदरता से व्यक्त करती हुई, यह कविता भक्ति भावना को सुदृढ़ करती है।
इस प्रकार, 'पराशर-संहिता' और 'सुदर्शन-संहिता' जैसे ग्रन्थों में हनुमान की पूजा का महत्वपूर्ण स्थान है और इनके माध्यम से भक्त अपने जीवन को शुभ और समृद्धि से भर सकते हैं।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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