Published By:धर्म पुराण डेस्क

अमेरिका में हिन्दू-चिंतन का प्रभाव

एक परिचय:

अमेरिका में हिन्दू-चिंतन का प्रभाव एक रूप में उभरा, बढ़ा, और सामाजिक चरित्र को परिवर्तित किया। इस प्रभाव के पीछे दो महत्वपूर्ण चिंतनशील व्यक्तियों - राल्फ वाल्डो एमरसन और हेनरी थोरो - का योगदान है।

राल्फ वाल्डो एमरसन:

राल्फ वाल्डो एमरसन ने अपने जीवन में विभिन्न आध्यात्मिक चिंतनों का अध्ययन किया और उनका प्रभाव अपने चिंतन में दिखाया। उन्होंने भगवद् गीता, वेद, और उपनिषदों को पढ़ा और उससे लिए गए आदान-प्रदानों को स्वीकार किया। उनका चिंतन आत्म-स्वतंत्रता, प्राकृतिक सौंदर्य, और आत्म-अनुभव पर केंद्रित था। उन्होंने भारतीय धार्मिक और दार्शनिक आदान-प्रदानों की प्रशंसा की और इसे अपने विचार में शामिल किया। एमरसन ने अपने चिंतन से उद्भवित होकर अमेरिकी समाज में आत्म-प्रेम, स्वतंत्रता, और धार्मिक सोच को बढ़ावा दिया।

हेनरी थोरो:

हेनरी थोरो, एमरसन के साथी, ने भी हिन्दू धार्मिक और दार्शनिक आदान-प्रदानों को स्वीकार किया। उन्होंने अपने लेखों में भारतीय साहित्य और धरोहर की प्रशंसा की और उसे अपने चिंतन में शामिल किया। थोरो ने अपने चिंतन और लेखन के माध्यम से अमेरिकी समाज में हिन्दू चिंतन का प्रचार-प्रसार किया और आत्म-स्वतंत्रता, सरलता, और प्राकृतिक संबंध की महत्वपूर्णता को प्रमोट किया।

समाप्ति:

इस प्रकार, राल्फ वाल्डो एमरसन और हेनरी थोरो ने अपने चिंतन के माध्यम से अमेरिकी समाज में हिन्दू-चिंतन को प्रमोट किया और इससे समाज में सकारात्मक परिवर्तन का सृष्टि किया। इनका योगदान आज भी अमेरिकी साहित्य और चिंतन में महत्वपूर्ण है और हिन्दू धार्मिकता को आत्म-प्रेम और आत्म-स्वतंत्रता के माध्यम से जानने का एक साधन बनाए रखा है।

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