 Published By:सरयूसुत मिश्रा
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न हम खाली हाथ आए थे न खाली हाथ जाएंगे, जाने हम क्या लेकर आए थे क्या लेकर जाएंगे.. सरयूसुत मिश्रा
भारतीय संस्कृति और समाज में पला-बढ़ा हर व्यक्ति जब भी आध्यात्मिक भाव में आता है, तब सबसे पहले यही कहता है कि इस संसार में क्या है? हम खाली हाथ आए थे और खाली हाथ ही जाएंगे. हम क्या लेकर आए थे और क्या लेकर जाएंगे ? सब यहीं छूट जाएगा. क्या यह सच है कि हम खाली हाथ आए थे और खाली हाथ ही जाएंगे? यह कैसे सच हो सकता है? अगर यह सच है तो इसका मतलब यह हुआ जन्म लेते समय सब बराबर हैं, सब खाली हाथ हैं. पुराना कोई हिसाब-किताब नहीं है. अगर ऐसा होता तो हर मनुष्य समान रूप से स्वस्थ, समान सौंदर्य, समान बुद्धि, समान चित्त और वृद्धि के साथ पैदा होता. लेकिन ऐसा नहीं है. एक ही माता-पिता के एक ही समय और एक ही ग्रह-नक्षत्र में जन्मे दो बच्चों का सब-कुछ अलग-अलग होता है. दोनों बच्चों का कई बार रंग भी एक जैसा नहीं होता. उनका स्वभाव भी अलग अलग होता है. कोई बच्चा बहुत शांत है तो कोई चंचल है. कोई नाराज हो जाता है, तो कोई बहुत शांत होता है कोई डरता है, तो कोई निर्भीक होता है. कोई बच्चा अपना सब कुछ लोगों के साथ साझा करता है और कोई बच्चा अपना खिलौना भी किसी को नहीं देता. हर बच्चे की वृत्ति और स्वभाव अलग अलग होता है. कोई बच्चा हंसमुख होता है, तो कोई छोटी-छोटी बातों पर रूठने वाला होता है. कोई दूसरों की सफलता पर खुश होने वाला होता है तो कोई ईर्ष्यालु होता है.इसका मतलब है कि कोई भी बच्चा खाली हाथ नहीं आया है. वह अपने साथ कुछ ना कुछ लाया है, जो उसे दूसरे से अलग बनाता है. अब यह क्या है ? भौतिक शरीर जो जन्म मिलता है वह आत्मा के कारण होता है जिस शरीर से आत्मा निकल जाती है वह शरीर मृत हो जाता है. मतलब आत्मा के साथ ही भौतिक शरीर का जो जन्म होता है. वह आत्मा के कारण होता है. इसको आधुनिक तकनीक एवं विज्ञान की भाषा में समझना आसान होगा. कितना भी महंगा मोबाइल हो, अगर उसकी सिम निकाल दी जाए, तो मोबाइल मृत हो जाएगा. मोबाइल में सिम उसकी आत्मा है. इसी प्रकार आजकल कंप्यूटर, गाड़ियां, हवाई जहाज और जो भी साधन हम उपयोग करते हैं, वे पहले से निर्धारित प्रोग्राम की एक चिप के कारण चलता है. सीडी यापेन ड्राइव में हम अपना सारा डाटा और आवश्यक दस्तावेज सुरक्षित रखते हैं.
यह सीडी या पेन ड्राइव जेब में रख - रख कर हम दुनिया के किसी भी कोने में चले जाएं सीडी या पेनड्राइव जैसे ही रीडर या कंप्यूटर में लगाया जाएगा. सारा डाटा सामने आ जाए गा जो भी ट्विटर,सीडी, पेन ड्राइव में सुरक्षित होता है सभी डाटा इलेक्ट्रॉनिक मैग्नेटिक फील्ड यानी एक विद्युत चुंबकीय क्षेत्र में सेव होते हैं इलेक्ट्रो मैग्नेटिक फील्ड में सुरक्षित डाटा सीडी राइटर या पेन ड्राइव रीडर उसे रीड कर उसे कन्वर्ट कर देता है इसी प्रकार मोबाइल पर वीडियो डाटा ट्रांसफर इसी तकनीक से होता है. मोबाइल या कंप्यूटर सभी डाटा इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड के रूप में वायुमंडल में ही बनते हैं. सीडी,पेनड्राइव या एसडी कार्ड इत्यादि तो मात्र उन्हें सुरक्षित रखने के साधन है. हमारी आत्मा में भी हमारा हर कर्म रिकॉर्ड होता है. हमारे शरीर से हर समय इलेक्ट्रोवेव कब संप्रेषण होता रहता है और इसके माध्यम से सारा डाटा इलेक्ट्रो मैग्नेटिक फील्ड में ब्रह्मांड में सुरक्षित रहता है. आवश्यकतानुसार आत्मा उसको रीड कर आपको प्रेषित करती है. इंसान की आत्मा ने उसका सारा डाटा उपलब्ध है. विभिन्न योनियों से गुजरते हुए आज हम जिस भौतिक शरीर के रूप में उपलब्ध हैं, उसमें आत्मा रूपी चिप लगी है. इस चिप में अभी तक आपने जितने भी जन्म लिए हैं उसका डाटा दर्ज होता है. अब प्रश्न यह है कि डाटा ऑन रिकॉर्ड कौन करता है और कैसे दर्ज होता है ? इंसान का डाटा वह स्वयं दर्ज करता है. इसके लिए अलग से हिसाब-किताब का कोई सिस्टम नहीं है और इसकी आवश्यकता भी नहीं है.
ईश्वर जब किसी को जन्म देता है तो आत्मा की चिप के साथ आता है. आप जो भी कर्म करते हैं उसका फल तो भुगतना ही पड़ता है. कर्म का फल तुरंत मिल जाता है. कर्म का फल एक जन्म से दूसरे जन्म मिलेगा ऐसा नहीं है. कर्म का फल तुरंत मिल जाता है. किसी ने किसी की हत्या की तो उसकी सजा तत्काल मिलेगी. हत्या के कर्म का फल मिल गया, लेकिन हत्या के कर्म से उसकी आत्मा में हत्या के संस्कार रिकॉर्ड हो गए. किसी ने चोरी की और पकड़ा गया तो उसे सजा मिल जाएगी, लेकिन नहीं पकड़ा गया तो भी उस अपराध के कर्म का संस्कार उसकी आत्मा पर रिकॉर्ड हो जाता है. उसका फल तो हर हालत में भुगतना ही पड़ेगा. कर्म का फल तो तत्काल मिल गया, लेकिन उस कर्म से जो संस्कार बना है वह भी फलीभूत होगा. भगवान बुद्ध राजा के यहां पैदा हुए. उनके पास सारा वैभव था. उनमें भूख का संस्कार नहीं था. उनका त्याग का संस्कार फलीभूत हुआ और उन्हें बुद्धत्व हासिल हुआ. जन्म-जन्मांतर से खूब का संस्कार नहीं है, इसलिए कई बार धन होने के बाद भी उसका भोग नहीं कर पा रहे हैं. इसी प्रकार गरीबी होने के बाद भी भूख का संस्कार होने पर कर्ज लेकर भी व्यक्ति भोग करने में सफल हो जाता है. व्यक्ति की अमीरी और गरीबी भी पूर्व के संस्कार से आती है. पूर्व में धन होने पर उसका धन पुण्य और सदुपयोग में खर्च किया है तो जो संस्कार बने हैं वह अमीरी के हैं और धन होने पर उनका उपयोग पाप और अनैतिक कार्यों में किया गया है तो इससेम गरीबी के संस्कार मिलते हैं. यही स्थिति पढ़ाई-लिखाई, नौकरी, रोजगार और अन्य क्षेत्रों के लिए भी होती है. जन्म-मृत्यु के निरंतर चक्र में कर्मों के आधार पर बने संस्कार से यह सब मिलता है अथवा कम मिलता है या नहीं मिलता है. यही कर्म का सिद्धांत है. आत्मा में रिकॉर्ड संस्कार पूर्व कर्मों से बने हैं और वह संस्कार वर्तमान में कर्म पर प्रभाव डालते हैं. यह प्रभाव अच्छा या खराब दोनों हो सकता है और संस्कारों के प्रभाव को ही भाग्य कहते हैं. कर्म तो हमेशा हर परिस्थिति में करना ही होगा, लेकिन संस्कारों का प्रभाव कम पर रहेगा और उसी अनुरूप फल जीवन में मिलेगा. जन्म जन्मांतर से बने संस्कार आज के कर्म से जोड़ते हैं और दोनों मिलकर व्यक्ति के भविष्य का, उसकी अमीरी-गरीबी का, शिक्षित-अशिक्षित, रोजगार और जीवन के अन्य सभी विषयों का निर्धारण करते हैं. जीवन को नश्वर बताने के लिए यह जो कहा जाता है कि हम खाली हाथ आए हैं, खाली हाथ जाना है, तू क्या लेकर आया था, क्या लेकर जाएगा यह सच तो नहीं है, बल्कि जीवन में सार यह है जन्म मृत्यु के कर्मों का संस्कार लेकर आते हैं और वर्तमान जीवन में कर्म और कर्म से फल प्राप्त करते हुए इस जीवन में संस्कार को प्राप्त करते हैं. कर्मों से बने संस्कार हम लेकर आते हैं और नए जीवन के कर्मों से बने संस्कार लेकर जाते हैं. वर्तमान जीवन में कर्म ही आधार होता है. इसमें कोई भ्रम नहीं रखते हुए हमेशा ऐसे कर्म करें जिससे आत्मा पर उन्हें अच्छे संस्कार बनें और सत्यता के साथ इन्हीं प्रयासों से आत्मा के मोक्ष की कल्पना साकार होने का रास्ता भी मिलेगा.
 
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