Published By:धर्म पुराण डेस्क

जन्माष्टमी पर्व की धूम, जानिये भगवान कृष्ण से जुड़ी 44 दुर्लभ जानकारियां

देशभर में जन्माष्टमी पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। मंदिरों को सुंदर रोशनी से सजाया गया है। रात 12 बजे से मंदिरों और घरों में भगवान कृष्ण की पूजा अर्चना की जा रही है। वहीं मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि मंदिर समेत देश के कई बड़े मंदिरों में आज जन्माष्टमी मनाई जाएगी।

आइये जन्माष्टमी पर्व पर जानिये भगवान् श्री कृष्ण से जुड़ी 44 दुर्लभ जानकारियां-

1. कृष्ण का जन्म 5252 वर्ष पूर्व।

2. जन्म की तिथि: 18 जुलाई, 3228 ई.पू.।

3. मास: भाद्र।

4. दिन: अष्टमी।

5. नक्षत्र: रोहिणी।

6. दिन: बुधवार।

7. समय: 00:00 पूर्वाह्न।

8. श्री कृष्ण 125 वर्ष 8 महीने और 7 दिन पृथ्वीलोक में रहे।

9. देह त्यागने की तिथि: 18 फरवरी ई.पू.।

10. जब कृष्ण 89 वर्ष के थे, महाभारत का युद्ध हुआ।

11. महाभारत के युद्ध के 36 साल बाद उन्होंने शरीर का त्याग किया।

12. महाभारत युद्ध मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी, ईसा पूर्व 3139 को शुरू हुआ था। यानी "8 दिसंबर 3139 ई.पू." और "25 दिसंबर, 3139 ई.पू." को समाप्त हुआ।

13. 21 दिसंबर, 3139 ईसा पूर्व को दोपहर 3 बजे से शाम 5 बजे के बीच सूर्य ग्रहण था, जयद्रथ की मृत्यु का कारण।

14. भीष्म की मृत्यु 2 फरवरी, (उत्तरायण की पहली एकादशी) को 3138 ईसा पूर्व में हुई थी।

15. कृष्ण की पूजा की जाती है:

कृष्ण/कन्हैया: उत्तर भारत में,

जगन्नाथ: ओडिशा में, 

विठोबा: महाराष्ट्र में,

श्रीनाथ: राजस्थान में,

द्वारकाधीश/रणछोड़: गुजरात में,

कृष्ण: कर्नाटक में उडुपी,

गुरुवायुरप्पन: केरल में,

16. पिता: वसुदेव,

17. माता: देवकी,

18. दत्तक पिता: नंद,

19. दत्तक माता: यशोदा,

20. बड़े भाई: बलराम,

21. बहन: सुभद्रा,

22. जन्मस्थान: मथुरा,

23. पत्नियाँ: रुक्मिणी, सत्यभामा, जाम्बवती, कालिंदी, मित्रविन्दा, नग्नजित, भाद्र, लक्ष्मण,

24. कृष्ण ने अपने जीवन काल में केवल 4 लोगों को मारा...

चनूरा (पहलवान), कंस (उनके मामा), शिशुपाल और दंतवक्र (उनके चचेरे भाई)।

25. उनकी माँ उगरा कुल से थीं और पिता यादव वंश से।

26. वह काली काया वाले पैदा हुए थे। गोकुल का सारा गाँव उन्हें काला कहने लगा। काले, छोटे और गोद लिए हुए होने के कारण उनका उपहास किया गया और उन्हें चिढ़ाया गया। उनका बचपन खतरनाक स्थितियों से भरा था।

27. 'सूखा' और 'जंगली भेड़ियों के खतरे' से बचाने के लिए उन्हें 9 साल की उम्र में गोकुल से वृंदावन भेज दिया गया।

28. वो वृंदावन में 10 वर्ष 8 महीने तक रहे। उन्होंने मथुरा में 10 साल 8 महीने की उम्र में अपने ही मामा को मार कर मां और पिता को रिहा कर दिया।

29. वह फिर भी वृंदावन नहीं लौटे।

30. सिंधु राजा की धमकी के कारण उन्हें मथुरा से द्वारका की ओर पलायन करना पड़ा; कालयवन। 

31. उन्होंने गोमांतक पहाड़ी (अब गोवा) पर 'वैनतेय' जनजातियों की मदद से जरासंध को हराया।

32. उन्होंने द्वारका का पुनर्निर्माण किया।

33. फिर वो 16-18 साल की उम्र में अपनी स्कूली शिक्षा के लिए उज्जैन में सांदीपनि ऋषि के आश्रम में चले गए।

34. उन्हे लुटेरों से लड़ना था और अपने शिक्षक पुत्र पुनर दत्त को बचाना था जिसका प्रभास (गुजरात में एक समुद्री बंदरगाह) के पास अपहरण किया गया था।

35. अपनी शिक्षा के बाद, उन्हें अपने फुफेरे भाइयों के वनवास के बारे में पता चला। वे 'लाक्षागृह' में उनके बचाव में आए और बाद में उनके फुफेरे भाइयों ने द्रौपदी से शादी कर ली। इस गाथा में उनकी भूमिका बहुत बड़ी थी।

36. फिर उन्होंने अपने फुफेरे भाइयों को इंद्रप्रस्थ और उनके राज्य की स्थापना में मदद की।

37. उन्होंने द्रौपदी को दुर्योधन और दुशासन के हाथों शर्मिंदगी से बचाया।

38. वह निर्वासन के दौरान अपने चचेरे भाइयों के साथ खड़े रहे और उन्हें कुरुक्षेत्र युद्ध जिताया।

39. उसने अपने प्यारे शहर द्वारका को समुद्र में डूबते देखा।

40. उन्हें जंगल में एक ज़रा नाम के बहेलिए ने भूलवश विष बुझा तीर मारा और श्री कृष्ण ने इसी को बहाना बना कर शरीर त्याग दिया।

41. उनका जीवन सुखद नहीं रहा। एक भी क्षण ऐसा नहीं था जब वह शांति से रहे हों। हर मोड़ पर उनके सामने चुनौतियां थीं।

42. उन्होंने जिम्मेदारी के साथ सब कुछ और सभी का सामना किया और फिर भी अनासक्त बने रहे।

43. वह भूत और भविष्य को जानते थे फिर भी वह हमेशा वर्तमान में रहते थे।

44. श्रीकृष्ण और उनका जीवन सही मायने में हर इंसान के लिए एक उदाहरण है।

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