Published By:धर्म पुराण डेस्क

कार्तिक में राधा दामोदर पूजा

कार्तिक में राधा दामोदर पूजा

कार्तिक मास में विशेषतः राधा दामोदर की पूजा की जाती है। प्राचीनकाल में ब्रज के स्त्री, पुरुष, बच्चे, बूढ़े सभी यमुना में प्रतिदिन स्नान करके राधा दामोदर जी की विशेष पूजा करते थे।

शास्त्रों में इसका वर्णन इस प्रकार मिलता है: पद्मपुराण ब्रह्मखण्ड अध्याय 20 में आया है. 

"सर्वमासोत्तमे चोर्जे राधादामोदरी शुभौ।

पूजां कृत्वा वयं मातः सर्वपापहरां शुभाम्।। 

कोटिजन्मार्जितं पापं नष्टं प्राप्तं निकेतनम्।”

सब महीनों में उत्तम कार्तिक महीने में राधा और दामोदर जी को पूजा शुभ और कल्याण करने वाली, सब पापों का नाश करने वाली, करोड़ों जन्मों के पापों का नाश करने वाली है। 

कार्तिक में राधा दामोदर पूजा: भक्ति और शुभारंभ का महत्वपूर्ण पर्व ..

कार्तिक मास में विशेष रूप से राधा दामोदर की पूजा का महत्व अत्यधिक होता है। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण और उनकी प्रिय गोपिका, राधा के प्रेम के रूप में मनाया जाता है और इसका मतलब है कि भगवान के अनुग्रह का आनंद और भक्ति के पवित्रता को साझा करने का अच्छा समय होता है।

पूजा का महत्व:

इस पूजा का महत्व पुराणों में व्यक्त होता है, और यह दिखाया गया है कि इस पर्व को मनाने से पुण्य प्राप्त होता है और सभी पापों का नाश होता है। यह एक ऐसा समय है जब भक्त भगवान के प्रति अपनी भक्ति और श्रद्धा को व्यक्त करने का अच्छा अवसर पाते हैं और अपने आध्यात्मिक साधना में आगे बढ़ते हैं।

शास्त्रों का समर्थन:

पद्मपुराण के ब्रह्मखण्ड अध्याय 20 में इस पूजा का महत्व व्यक्त किया गया है और इसका उल्लंघन करने से पापों का नाश होता है। इस पूजा का महत्व यहाँ उल्लिखित है:

"सर्वमासोत्तमे चोर्जे राधादामोदरी शुभौ।

पूजां कृत्वा वयं मातः सर्वपापहरां शुभाम्।। 

कोटिजन्मार्जितं पापं नष्टं प्राप्तं निकेतनम्।”

राधा दामोदर पूजा मनाने का तरीका:

राधा दामोदर पूजा के दौरान, भक्त राधा और दामोदर जी की मूर्ति की पूजा करते हैं, उनके नाम के मंत्र जपते हैं, आरती करते हैं, और उनके प्रेम के गाने गाते हैं। पूजा के दौरान, भक्त भगवान के साथ अपने आप को संरचनाते हैं और उनके प्रेम और शांति का आनंद लेते हैं।

कार्तिक मास में राधा दामोदर पूजा का आयोजन करके भक्त अपने आध्यात्मिक साधना में आगे बढ़ सकते हैं और पापों के नाश का अच्छा अवसर प्राप्त कर सकते हैं। यह पूजा भक्ति, प्रेम, और पूजने की आदत को बढ़ावा देने वाला अद्वितीय अवसर है जो भगवान के प्रति भक्त के मन, शरीर, और आत्मा को शुद्ध करता है।

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