डॉ. एस.एस. सिबिया के अनुसार स्वस्थ शरीर में कितनी होती है कोलेस्ट्रॉल की मात्रा?
हमारे शरीर के पोर पोर में बहने वाले रक्त के तीन हिस्से होते हैं। पहला है रेड ब्लड सेल्स, दूसरा है व्हाइट ब्लड सेल्स तथा तीसरा हिस्सा होता है प्लेटलेट्स का। प्लाज्मा रक्त का वह तरल रसायन वाला हिस्सा होता है जिसमें ये तीनों हिस्से तैरते रहते हैं। खून का आधे से अधिक हिस्सा प्लेटलेट्स का होता है। प्लेटलेट्स का अधिकांश हिस्सा पानी से बना होता है जिसमें इलेक्ट्रोलाइट्स और प्रोटीन घुले रहते हैं।
एक स्वस्थ व्यक्ति के रक्त में कुल मिलाकर 140 मिलीग्राम कोलेस्ट्रॉल होता है। इसमें 70 प्रतिशत कोलेस्ट्रॉल हमें भोजन के जरिए मिलता है। शेष 30 प्रतिशत कोलेस्ट्रॉल शरीर की कोशिकाओं और लिवर में तैयार होता है। एक स्वस्थ व्यक्ति का लिवर प्रतिदिन लगभग 100 मिलीग्राम कोलेस्ट्रॉल का निर्माण करता है।
कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़े तो घातक-
कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से हृदय धमनियों में एथिरोक्लेरॉसिस (धमनियों का सख्त होना) नामक विकार पैदा हो जाता है। शरीर में बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल धीरे-धीरे धमनियों में जमने लगता है। जमाव इकट्ठा होकर थक्का बन जाता है।
जब यह थक्का बढ़कर खून के प्रवाह में रुकावट डालने लगता है तो दिल को पूरे शरीर में खून पहुंचाने के लिए अधिक परिश्रम करना पड़ता है। हृदय की बड़ी धमनी में रक्तसंचार में रूकावट आने पर सीने में भयंकर दर्द होता है। दिल के दौरे का यह पहला संकेत है।
कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से खून में थक्का बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। इन थक्कों के कारण धमनी में जब रक्त का प्रवाह रुक जाता है तो दिल का दौरा पड़ जाता है। मस्तिष्क की नसों में इस धक्के के कारण ब्रेन हेमरेज (मस्तिष्कघात) के चलते व्यक्ति की दिमाग की नसें फट जाती हैं। इसमें रोगी को बचा पाना बेहद मुश्किल हो जाता है।
कोलेस्ट्रॉल की अधिकता से पित्त की थैली में पथरी बनती है। इसके कारण अपच की शिकायत हो जाती है। कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से चेहरे पर झुर्रियां पड़ जाती हैं। थकान महसूस होती है। चेहरे पर बुढ़ापा झलकने लगता है।
कोलेस्ट्रॉल-
हमारे खून में पाया जाने वाला मोम की तरह की वसा का ही एक रूप है। कोलेस्ट्रॉल रक्त में घुलनशील होता है और धमनियों में यह खून के साथ बहता है। कोलेस्ट्रॉल और दिल की बीमारियों के संबंध में रखी गई जानकारी बीमारी से बचाने में मदद कर सकती है।
आइए समझते हैं दोनों के बीच का संबंध-
किन्हें है अधिक खतरा दिल की बीमारी का-
1. जो एक ही जगह बैठकर काम करते हैं।
2. पैदल कम चलते हैं और किसी प्रकार का श्रम, व्यायाम नहीं करते।
3. मोटापे के शिकार लोग।
4. मधुमेह और उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) के रोगी।
5. अत्यधिक तेल, घी, पनीर, मक्खन, जैसे खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन करने वालों में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ जाता है।
कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम कैसे करें?
कोलेस्ट्रॉल की मात्रा हमारे भोजन से ही अधिक मिलती है। अतः कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए सबसे पहले भोजन में चर्बी की मात्रा कम करें।
भोजन में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और वसा की संतुलित मात्रा ले। मूंगफली, सरसों, सोयाबीन, तिल, सूरजमुखी आदि तेलों का इस्तेमाल करें। खाने के लिए नारियल तेल, डालडा आदि से परहेज करें। दूध से मलाई निकाल कर सेवन करें। अंडे की जर्दी में लगभग 275 मिलीग्राम कोलेस्ट्रॉल रहता है। सिगरेट की मात्रा कम कर दें। मानसिक तनाव से बचें।
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