दोस्तों वास्तु शास्त्र में ईशान कोण का बहुत महत्व है. आज हम आपको बताएंगे ईशान कोण के दोष और उनके निवारण के बारे में।
वास्तुशास्त्रं प्रवक्ष्यामि लोकानां हितकाम्यया।
आरोग्य पुत्र लाभं च धनं धान्यं लभेन्नरः॥
अर्थात् वास्तु के नियमों का पालन करने से लोगों का हित होता है। आरोग्य लाभ, पुत्र लाभ, धन-धान्य की प्राप्ति अच्छी होने से व्यक्ति निरंतर प्रगति करता रहता है। ज्योतिष और वास्तु का चोली-दामन का साथ है।
जब तक दशायें अनुकूल हों तो किसी भी भवन में निवास हो तो व्यक्ति चाहे जिस भवन में निवास करे, जहां वास्तु नियमों का ध्यान नहीं रखा गया हो प्रगति करता रहता है। यह सब व्यक्ति के ग्रहों की प्रबलता के कारण संभव हो पाता है।
प्रबल दशा कुछ वास्तु दोषों का शमन कर सकती है लेकिन दशायें जरा भी प्रतिकूल होने पर वास्तु भी अपना प्रभाव दिखाना शुरू कर देता है। यदि दशायें प्रतिकूल हैं एवं वास्तु नियमों का पूर्णतया पालन हो रहा है तो अनिष्ट की आशंका कुछ कम अवश्य होती है।
एक नास्तिक व्यक्ति अर्थात् जिसका बृहस्पति कमजोर हो उसको ऐसे वास्तु में निवास करते देखा गया है जिसका ईशान कोण कटा हुआ है, कोई अवरोध है या ईशान में कोई निर्माण या भारी है।
किसी व्यक्ति के वास्तु को देखकर भी उसकी ग्रह स्थिति के बारे में अनुमान लगाया जा सकता है। किसी ग्रह का निर्बल होना या पापी होना उस दिशा में दोष पैदा करेगा जिसका वह कारक है।
कमजोर ग्रह को शुभ करने हेतु वास्तु शास्त्र में कुछ नियमों एवं उपायों का प्रयोग किया है जिसके द्वारा कोई व्यक्ति वास्तु को अनुकूल बनाकर ग्रह जनित दोषों को कम कर जीवन में सुख समृद्धि को प्राप्त कर उसमें निरंतरता बनाए रख सकता है।
वास्तु शास्त्र में मुख्यतया दिशाओं का प्रयोग अधिक होता है। इन दिशाओं में वास्तु अनुकूल निर्माण, सामग्री का रख-रखाव, रंग-रोगन एवं अन्य उपायों द्वारा वास्तु को अनुकूल किया जा सकता है:-
1. ईशान :-
ईशान दिशा का स्वामी शिव है एवं इसका प्रतिनिधि ग्रह बृहस्पति है। जन्म कुंडली के द्वितीय एवं तृतीय भाव का कारक है। इसे पवित्र दिशा भी माना जाता है। ईशान कोण को हमेशा नीचा एवं खाली रखना चाहिए। पूजा घर एवं जल स्रोत, पानी की टंकी इसमें बनाना शुभ रहता है।
ईशान कोण में यदि कोई अलमारी बनी हुई है तो उसे पूजा का स्थान बनाया जाए। किसी भी स्थिति में इस दिशा में टॉयलेट नहीं होना चाहिए। टॉयलेट होने पर उसे हटाना ही मात्र एक उपाय है।
ईशान में यदि रसोई घर बनाया हुआ है तो उसमें चूल्हा गैस कमरे के आग्नेय में रखना चाहिये। इस दिशा जनित दोषों के निवारण हेतु गुरुवार का व्रत, बृहस्पति यंत्र को स्थापित करना, वास्तुदोष नाशक कवच व वास्तुदोष नाशक यंत्र का प्रयोग करना, ईशान को स्वच्छ एवं सुंदर बनाना एवं शिवोपासना से दोष दूर किया जा सकता है।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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