ऐसा माना जाता है कि गायत्री मंत्र को पूरी विधि के साथ नहीं करने पर उसका पूरा फल नहीं मिलता है।
गायत्री मंत्र को करने के कुछ नियम बताए गए हैं।
मंत्र जाप करते समय इन नियमों का पालन करना जरूरी है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार मंत्रों का जाप स्पष्ट उच्चारण के साथ किया जाता है।
नामजप करते समय गलत उच्चारण का प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर पड़ता है। यहाँ गायत्री मंत्र जाप का सही अनुष्ठान है।
गायत्री मंत्र जप का वास्तविक अनुष्ठान ..
मान लीजिए कि रंग पीला है ..
ऐसा कहा जाता है कि सूर्योदय से कुछ समय पहले गायत्री मंत्र का जाप करना शुरू कर देना चाहिए। इसलिए दोपहर के समय भी गायत्री मंत्र का जाप किया जा सकता है। गायत्री मंत्र का जाप करते समय पीला वस्त्र धारण करें। ऐसा करना शुभ माना जाता है।
धार्मिक मान्यता है कि गायत्री मंत्र का जाप करते समय आगे और पीछे श्री संपूत का जाप करें। जिसमें कम से कम 108 बार जाप करें। ऐसा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। जिसका मंत्र रुद्राक्ष की माला से जाप किया जाता है। रुद्राक्ष की माला शुभ मानी जाती है।
यह भी माना जाता है कि इस जाप से मनचाहा फल मिलता है। गायत्री मंत्र हमेशा मौन में किया जाता है।
ऐसा माना जाता है कि गायत्री मंत्र का जाप करने से मनुष्य रोग से मुक्त हो जाता है। घर में खुशियां आती हैं। सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। मंत्र जाप के बाद पात्र में भरे जल का अनिवार्य सेवन। मंत्र जाप करने से व्यक्ति को रोग से मुक्ति मिलती है।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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