 Published By:धर्म पुराण डेस्क
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कोई भी व्यक्ति समय को अपने अनुसार चलाने में सक्षम नहीं होता है।
समय अपनी गति से चलता है और समय की गति के अनुसार ही व्यक्ति को चलना पड़ता है। जो व्यक्ति समय के अनुसार नहीं चल पाते, वे अपने लिये अनेक प्रकार की समस्याएं उत्पन्न कर लेते हैं। इसके लिये समय को समझना अत्यंत आवश्यक है।
जो व्यक्ति समय से बहुत पीछे चलता है और वह व्यक्ति जो अति उत्साह के कारण समय से काफी आगे चलने का प्रयास करता है, ऐसे दोनों ही प्रकार के व्यक्ति समस्या से घिरे रहते हैं।
घटना महाभारत की है ..
पांचों पांडव अज्ञातवास में थे। जहां पर ये पाण्डव भाई रह रहे थे, वहीं एक दिन भीख मांगता हुआ एक भिखारी आ गया। उसके सामने युधिष्ठिर पड़ गये। भिखारी ने भीख के लिए गुहार लगाई। युधिष्ठिर ने कहा कि कल आ जाना। भिखारी किसी प्रकार का प्रतिवाद किये बिना आगे चला गया।
इस घटनाक्रम के दौरान भीम वहीं पर था। भाई की बात सुनकर वह जोर-जोर से खिलखिला कर हंस पड़ा। युधिष्ठिर ने पूछा कि तू क्या पागल हो गया है भीम ? क्यों इस तरह से हंस रहा है ? भीम ने कहा कि मुझे आज एक बात मालूम हुई है। मैं अभी सब लोगों को बताकर आता हूं कि मेरे भाई धर्मराज युधिष्ठिर ने समय को जीत लिया है। उसने एक भिखारी से कहा है कि कल आ जाना।
इसका मतलब यह हुआ कि आपको यह मालूम है कि कल आप जीवित रहेंगे अथवा वह भिखारी भी कल तक जीवित रहेगा, तभी तो आपने उसे कल आने को कहा है।
भीम की बात समझते अधिक समय नहीं लगा युधिष्ठिर को तुरन्त अपनी भूल का अहसास हुआ। वे भागे- भागे भिखारी के पास गये। उससे क्षमा मांगी। वापिस लाकर दान देकर विदा किया। भीम से भी क्षमा मांगी कि मेरे से गलती हुई।
मैं साधारण मनुष्य हूं। समय को जीत नहीं सकता। इसलिये जो आज हो सकता था, उसे कल पर टालना मेरा अपराध था। भविष्य में मैं इस प्रकार की गलती से बच कर रहूंगा।
 
 
                                मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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