किडनी रोगों के कुछ सामान्य लक्षण …
हमारा शारीरिक स्वास्थ्य काफी कुछ किडनी के स्वास्थ्य पर ही निर्भर करता है। एक भी किडनी स्वस्थ हो, तो हमारी विभिन्न शारीरिक क्रियाएं कमोवेश सुचारू रूप से चलती रहती हैं। यही वजह है कि मरीज की किडनियां खराब होती रहती हैं लेकिन कई बार उसे कोई लक्षण नजर नहीं आते।
1. पीठ दर्द।
2. मूत्र त्याग के दौरान रक्त आना।
3. मूत्र की मात्रा कम होना।
4. मूत्र त्याग के पैटर्न में बदलाव होना।
5. रात के समय ब्लड प्रेशर का कम-ज्यादा होना।
6. शरीर में जहां किडनियां मौजूद है वहां दर्द महसूस होना।
7. मूत्र त्याग के दौरान दर्द व जलन महसूस करना।
8. आंखे चेहरे पांव व त्वचा के अन्य हिस्सों में वाटर रिटेंशन यानी जलजमाव के कारण सूजन सी दिखाई देना।
9. शाम के समय थकान महसूस होना।
उपचार -
बैक्टीरिया के कारण किडनी में हुए संक्रमण को एंटीबायोटिक से भी ठीक किया जा सकता है। कारणों का उपचार करने से किडनी की सामान्य कार्यप्रणाली वापस प्राप्त करना संभव होता है। लेकिन किडनी फेलियर के अधिकतर मामलों में केवल डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट द्वारा ही समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है।
किडनी को प्रभावित करने वाले कुछ प्रमुख कारण …
• डायबिटीज,
• हाई ब्लड प्रेशर,
• आनुवंशिकता,
• दर्द निवारक गोलियों का अधिक सेवन,
• मूत्राशय के संक्रमण,
• किडनी में चोट आदि लगने के कारण मूत्राशय से मूत्र के बैक फ्लो यानी गलत दिशा में प्रवाहित होने, किडनी के लिए नुकसानदेह खानपान, भौगोलिक इत्यादि कारणों से भी किडनी की बीमारी हो सकती है।
लोग स्वास्थ्य के प्रति थोड़े से जागरूक होते हैं वे अपने ब्लड शुगर की अथवा ब्लड प्रेशर की जांचें कराते रहते हैं। पेट में अपच के कारण गैस का गोला उठे तो सीधे हृदयरोग विशेषज्ञ से संपर्क करते हैं। लेकिन किडनी के मामले में ऐसा नहीं है।
अधिकांश लोग न तो किडनी में होने वाली किसी खराबी की जानकारी रखते हैं और न ही देखभाल करना जानते हैं। अधकचरी जानकारी सभी के पास होती है मसलन किडनी में स्टोन की शिकायत होने पर हर कोई यह सलाह देता नजर आता है कि बीयर पीने से स्टोन पेशाब के जरिए बाहर निकल जाते हैं। जबकि हकीकत में किडनी रोगियों के लिए बीयर का अधिक मात्रा में सेवन नुकसानदेह होता है।
बीयर, सॉफ्ट ड्रिंक्स, दूध-दही इत्यादि में फास्फोरस की मात्रा अधिक होती है। ऐसे में यदि किडनी रोग से पीड़ित अधिक मात्रा में इनका सेवन करता है, तो उसके रक्त में फास्फोरस अस्थियों से अधिक मात्रा में कैल्शियम को खींचता है। इसका नतीजा यह होता है कि अस्थियों से कैल्शियम निकलने से वे कमजोर हो जाती हैं।
भौगोलिक कारण भी हैं किडनी रोग के …
हमारे देश के अधिकतम राज्यों के निवासी अन्य कारणों के अलावा कुछ भौगोलिक कारणों से भी किडनी रोगों के प्रति संवेदनशील हैं। समुद्र तटीय यानी कोस्टल एरिया में रहने वाले मछली का अधिक सेवन करने के कारण किडनी रोगों से पीड़ित होते हैं, तो पंजाब, हरियाणा व पश्चिमी उत्तर प्रदेश जैसे क्षेत्रों में दूध व दुग्धजनित पदार्थों का अधिक सेवन करने से किडनी रोगों का खतरा बढ़ जाता है।
डॉ. सुदीप सिंह
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