 Published By:धर्म पुराण डेस्क
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जानिए ऋषियों के प्रकार और उनके रहस्य..
आपने ऋषियों के बारे में तो बहुत सुना होगा लेकिन क्या आप जानते हैं कि ऋषि मुनि कौन हैं? उनके बारे में क्या मान्यताएं हैं?
शास्त्रों के अनुसार 21 प्रकार के ऋषि हैं। बहुत कम लोग बात करना जानते हैं। आइए जानते हैं इन 21 ऋषियों के बारे में।
वैखानस- ऋषियों का यह समूह ब्रह्मा जी के नख से उत्पन्न हुआ था।
बालखिल्य- ऋषियों का यह समूह ब्रह्मा जी के रोम से प्रकट हुआ था।
संप्रक्षाल- ऋषियों का यह समूह भोजन के बाद बर्तन धो-पोंछकर रख देते है, दूसरे समय के लिए कुछ नहीं बचाते हैं।
मरीचिप- सूर्य और चन्द्र की किरणों का पान करके रहते हैं।
बहुसंख्यक अश्म कुट- कच्चे अन्न को पत्थर से कूटकर खाते हैं।
पत्राहार- मात्र पत्तों का आहार करते हैं।
दंतोलूखली- दांतों से ही ऊखल का काम करते हैं।
उन्मज्ज्क- कंठ तक पानी में डूब कर तपस्या करते हैं।
गात्रशय्य- शरीर से ही शय्या का काम लेते हैं, भुजाओं पर सिर रख कर सोते हैं।
अश्य्य- शय्या के साधनों से रहित, सोने के लिए नीचे कुछ भी नहीं बिछाते हैं।
अनवकाशिक- निरंतर सत्कर्म में लगे रहते हैं और ये कभी छुट्टी नहीं लेते हैं. सामाजिक परिवर्तन और विकास करते हैं।
सलिलाहार- जल पीकर रहते हैं।
वायुभक्ष- हवा पीकर रहते हैं।
आकाश निलय- खुले मैदान में रहते हैं, बारिश होने पर वृक्ष के नीचे पनाह ले लेते हैं।
स्थनिडन्लाशाय- ये ऋषि वेदी पर सोने वाले होते हैं।
उर्ध्व्वासी- ये ऋषि पर्वत,शिखर या ऊंचे स्थानों पर रहने वाले होते हैं।
दांत- ये ऋषि मन और इन्द्रियों को वश में रखने वाले होते हैं।
आद्रपटवासा- ऋषियों के ये समूह हमेशा भीगे कपड़े पहनता है।
सजप- ऋषियों के ये समूह हमेशा और निरंतर जप करते रहते हैं।
तपोनिष्ठ- ऋषियों के ये समूह हमेशा तपस्या या ईश्वर के विचारों में स्थित रहने वाले होते हैं।
प्रशिक्षक- 21वें ऋषि वे होते हैं जो आश्रम बनाकर रहते हैं और आश्रम में प्रशिक्षण देते हैं।
 
 
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