महावीर स्वामी, जिनका जन्म संवत 599 में हुआ था, जैन धर्म के महावीरता के प्रत्यक्ष प्रमुख होते हैं। वे भगवान पार्श्वनाथ के उत्तराधिकारी थे और जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों में से एक माने जाते हैं।
महावीर के जीवन और शिक्षाएँ:
जन्म: महावीर का जन्म कुण्दग्राम (वर्तमान वैशाली, बिहार) में हुआ था। उनके पिता कुण्दकुंद और माता त्रिशला थीं।
आत्मबोध: महावीर ने अपने जीवन को सामान्य जीवन की आवश्यकताओं से परे जाने का निर्णय लिया और वनवास (वनमार्ग) पर चले गए।
तप: उन्होंने बहुत अधिक तपस्या और उपवास की अनुष्ठान की और आत्मज्ञान प्राप्त किया।
धर्म की शिक्षा: महावीर स्वामी ने अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, और अपरिग्रह - ये पाँच महाव्रतों का पालन करने की महत्वपूर्ण शिक्षा दी।
चार आचार्यों की संघ: महावीर स्वामी ने अपने शिष्यों के साथ एक गुरुशिष्य परंपरा की नींव रखी, जिसमें चौरण्य आचार्य, सुदर्मन आचार्य, मेघकुमार आचार्य, और अचालभद्रि आचार्य शामिल थे।
उपदेश: महावीर स्वामी ने अपने शिष्यों को धार्मिक और नैतिक उपदेश दिया और उन्हें जीवन के मूल्यों का पालन करने की सिखाई।
महापरिणिर्वाण: महावीर स्वामी ने 72 वर्ष की आयु में पावपुरी (वर्तमान बिहार) में मोक्ष प्राप्त किया।
महावीर स्वामी ने अहिंसा को अपने जीवन का मूलमंत्र माना और जैन धर्म की महत्वपूर्ण शिक्षा दी। उनके उपदेश और जीवनचरित्र जैन धर्म के महत्वपूर्ण आधार हैं, और वे जैन समुदाय के लिए महापुरुष माने जाते हैं।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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