Published By:धर्म पुराण डेस्क

जानें, सत्य का अर्थ और महत्व

सत्य एक रूप से परमात्मा:

सत्य को परमात्मा का एक रूप माना जाता है, जिसमें किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं हो सकता। इसका मतलब है कि सत्य हमेशा अच्छा और स्थायी रहता है, और यह अनंत, अज्ञेय और अविकारी है। योगी को अपने जीवन में सत्य का पालन करना चाहिए ताकि वह आत्मा की प्राप्ति की दिशा में बढ़ सके।

सत्य और आज का समय:

आज के समय में सत्य का दुरुपयोग हो रहा है और लोग आमतौर पर छल, कपट और धूर्तता का सहारा लेते हैं। योगी को अपने जीवन में सत्य को उतारने का संकल्प करना चाहिए ताकि समाज में सच्चाई की महत्ता बनी रहे।

महाभारत में सत्य की महिमा:

महाभारत में सत्य की महिमा को बहुत विवेचना की गई है और यहां बताए गए 13 प्रकार के सत्य के गुणधर्म योगी को सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं। इनमें सत्यपूर्ण वाणी बोलना, सभी प्राणियों पर समभाव रखना, इन्द्रियों का दमन, किसी की उन्नति की ईर्ष्या नहीं करना, क्षमा भाव, लज्जाशीलता, सहनशीलता, दूसरों के दोष नहीं देखना, त्याग-भाव, प्रभा-स्मरण, उत्तम आचरण, धैर्य-धारण और अहिंसा-पालन शामिल हैं।

सत्य का पालन:

सत्य का पालन करने के लिए व्यक्ति को अपनी वाणी से सत्य का पालन करना चाहिए और अन्यों के साथ सच्चे और समर्पित रहना चाहिए। इससे मन, वचन, और क्रियाएँ समर्थन में रहती हैं और व्यक्ति आत्मा की प्राप्ति की दिशा में बढ़ता है।

सत्य और धर्म:

महाभारत में कहा गया है कि सत्य के बिना कोई धर्म नहीं है और झूठ से बढ़कर कोई पाप नहीं है। इसलिए सत्य को अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानना चाहिए।

सत्य और योगी:

योगी को अपने आध्यात्मिक सफलता के लिए सत्य का पालन करना चाहिए क्योंकि यह उसे आत्मा के प्रति निष्ठा में मदद करता है और उसे परमात्मा के प्रति समर्पित बनाता है।

समाप्ति:

सत्य का पालन करना योगी को आत्मा की प्राप्ति और सच्चे धर्म की प्राप्ति में सहारा प्रदान करता है। इससे उसका जीवन सफल और प्रासंगिक बनता है, और वह अपनी आत्मा के साथ समर्पित रहकर मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है।

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