Published By:धर्म पुराण डेस्क

माइग्रेन से जुड़ी हुई इन बातों को जान लें माइग्रेन से जुड़े कुछ खास तथ्य

जिन लोगों को माइग्रेन की समस्या होती है उन्हें तमाम सलाहें तो सुनने को मिलती ही है, इससे भी बड़ी बात यह है कि सलाह अक्सर वे लोग देते हैं जिन्होंने कभी माइग्रेन को महसूस ही नहीं किया होता। 

उधर, माइग्रेन से पीड़ित व्यक्ति चूंकि इस दर्द से किसी भी स्थिति में निजात चाहता है इसलिए वह हर सलाह को सोचे-समझे बिना पालन भी कर लेता है। परिणाम वांछित नहीं मिलता और पीड़ा के साथ साथ चिड़चिड़ाहट और तनाव और बढ़ जाता है। इसलिए जरूरी है कि माइग्रेन से संबंधित कुछ बेसिक बातों को समझा जाए, ताकि सही इलाज से इसे नियंत्रित रखा जा सके।

भ्रान्ति : केवल तेज चमकती लाइट, औरा (आभामंडल) नहीं दिखता, मतलब यह माइग्रेन नहीं है।

तथ्य : पहली बात, माइग्रेन से पीड़ित हर व्यक्ति के लिए ट्रिगर (माइग्रेन भड़काने वाली चीज या स्थिति) एक सा हो यह कतई जरूरी नहीं। 

माइग्रेन के संदर्भ में औरा एक विस्तृत स्थिति है। यह माइग्रेन के दौरान या इसके पहले अन्य संवेदी अंगों से जुड़े लक्षण भी प्रकट कर सकता है। जैसे कानों घंटी जैसी आवाज का आना, स्वाद या सूंघने की क्षमता में बदलाव या अजीब सा एहसास। यह स्थिति कुछ मिनिट्स से लेकर कुछ घंटों तक की हो सकती है।

भ्रान्ति : सिर में कहीं भी दर्द हो, माइग्रेन हो सकता है।

तथ्य : कई बार कोई शब्द लोगों के जेहन या जुबान पर चढ़ जाता है। माइग्रेन के साथ भी ऐसा ही कुछ है। लेकिन माइग्रेन का मतलब है सिर में एक तरफ होने वाला दर्द। इस दर्द की यही विशिष्ट पहचान है। लेकिन हां यह दर्द एक तरफ से दूसरी तरफ शिफ्ट हो सकता है। 

ज्यादातर लोग इस दर्द को सिर में धम-धम होने के एहसास के साथ बयां करते हैं। यह दर्द दिन में भी किसी भी समय शुरू हो सकता है या आधी रात को आपको नींद से भी उठा सकता है। यह कई घंटे से लेकर कई दिनों तक भी लगातार बना रह सकता है। 

भ्रान्तिः खाने का सिरदर्द से क्या संबंध?

तथ्य : माइग्रेन के मामले में तो बिलकुल है। पैक्ड या प्रिजर्वेटिव डाले पदार्थों, कैफीन, चॉकलेट, आर्टिफिशियल मीठे, अल्कोहल आदि के अलावा ऐसे खाद्य जिनमें थायमिन नामक प्राकृतिक रसायन होता है वे भी माइग्रेन को ट्रिगर कर सकते हैं। जैसे चीज, प्रोसेस्ड मीट, फर्मेन्टेड (खमीर उठे पदार्थ) जैसे सोया सॉस आदि।

भ्रान्ति : दवा हमेशा चलेगी। 

तथ्य : लोग सोचते हैं कि माइग्रेन का कोई स्थाई इलाज नहीं है और इसकी दवा हमेशा लेना होगी। जबकि आधुनिक इलाज जड़ से काम करके पूर्ण आराम देता है। अधिकतर मरीजों में कुछ ही महीनों में दवा बंद भी हो जाती है। 

दवा के अलावा कुछ विशेष इंजेक्शन भी इस समस्या का आधुनिकतम और सुरक्षित इलाज है। इसमें सिर के ट्रिगर पॉइंट को ढूंढकर न्यूरोलॉजिस्ट द्वारा विशेष उपकरण से इलाज किया जाता है। और अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं होती। 

यह भी याद रखें कि माइग्रेन हर व्यक्ति के लिए अलग तरह का व्यवहार कर सकता है। डॉक्टर पूरी स्थिति समझ कर ही दवाई प्रिस्क्राइब करते हैं। साथ ही यह कितने समय तक लेनी है, इसके क्या साइड इफेक्ट्स हैं आदि को लेकर भी डॉक्टर जानकारी देते हैं। इसलिए अपने मन से दवाई खाने से बचें। 

भ्रान्ति : उम्र के साथ तो दर्द बढ़ेगा ही।

तथ्य : विशेषज्ञ मानते हैं कि अधिकतर लोगों में 35-40 वर्ष की उम्र में माइग्रेन सबसे अधिक तीव्रता के साथ उपस्थित रहता है। उम्र बढ़ने के साथ इसमें कमी आ सकती है। लेकिन हां प्री मेनोपॉज के दौर से गुजर रही महिलाओं में ऐसा नहीं भी हो सकता है। खासकर यदि उनका माइग्रेन ट्रिगर हार्मोन्स में असंतुलन से जुड़ा है तो।


 

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