Published By:धर्म पुराण डेस्क

जानिए क्या है निर्जला एकादशी की कथा, रखें व्रत

निर्जला एकादशी का व्रत सभी एकादशी में सबसे कठिन माना जाता है। इस व्रत में पानी पीना मना है इसलिए इस व्रत को करने का फल सभी एकादशियों के बराबर होता है. 

10 जून 2022 यानी कल निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाएगा. घरों में तैयारी चल रही है। इस एकादशी का संबंध भीमसेन से भी है। इस कारण इसे भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है।

निर्जला एकादशी का शुभ मुहूर्त ..

1. निर्जला एकादशी 2022 तिथि व व्रत प्रारंभ- 10 जून सुबह 07:25 बजे से।

2. निर्जला एकादशी तिथि समापन - 11 जून, शाम 05:45 बजे संपन्न होगी।

सनातन परंपरा में मान्यता …

सनातन परंपरा में मान्यता है कि निर्जला एकादशी के दिन बिना जल के उपवास करने से मनचाहा फल मिलता है। इस एकादशी का विशेष धार्मिक महत्व है। 

इस बार निर्जला एकादशी या भीमसेनी एकादशी कब है और क्या है इसकी कहानी, जानिए यहां।

निर्जला एकादशी पर पढ़ें यह कथा …

निर्जला एकादशी की कथा महाभारत से जुड़ी हुई है। महाभारत के समय एक बार पांडु के पुत्र भीम ने महर्षि वेद व्यास जी से पूछा- "हे ऋषि! मेरे परिवार में सभी एकादशी का व्रत रखते हैं और मुझसे भी व्रत करने को कहते हैं। लेकिन मैं भूखा नहीं रह सकता, इसलिए कृपया मुझे बताएं कि बिना उपवास के एकादशी का फल कैसे प्राप्त करें।"

भीम के अनुरोध पर वेदव्यास जी ने कहा- “बेटा, आप निर्जला एकादशी का व्रत करें, इसे निर्जला एकादशी कहते हैं। इस दिन अन्न और जल दोनों का त्याग करना होता है।

जो कोई एकादशी तिथि के सूर्योदय से द्वादशी तिथि के सूर्योदय तक बिना जल पिए रहता है और निर्जला व्रत का पालन सच्ची श्रद्धा से करता है, उसे इस एकादशी का व्रत करने से एकादशी का फल प्राप्त होता है, महर्षि वेदव्यास के वचनों को सुनकर, भीमसेन निर्जला एकादशी का व्रत करने लगे। और पापों से मुक्त हो गया। तभी से निर्जला एकादशी मनाई जाती है।


 

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