Published By:धर्म पुराण डेस्क

जानिए हनुमान जयंती को कब और कैसे मनाते हैं..

हनुमान जयंती के दिन पर, सभी हनुमान मंदिरों में बहुत अधिक भीड़ हो जाती है, क्योंकि लोग सुबह पवित्र स्नान करने के बाद से ही इनकी पूजा करना शुरू कर देते हैं। 

हनुमान जयंती हिन्दू धर्म के लोगों के द्वारा हिन्दुओं के एक महत्वपूर्ण त्योहार के रूप में बड़े उत्साह और जोश के साथ मनाई जाती है। यह एक महान हिन्दू उत्सव है, जो सांस्कृतिक और परंपरागत तरीके से मनाया जाता है।

पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार हनुमान जयंती के इस दिन हनुमान भक्तों की भारी भीड़ बालाजी मंदिरों में अपने आराध्य देव महावीर हनुमान के दर्शन करने और उनका आशीष लेने जाते है | बड़ी उत्सुकता और जोश के साथ समर्पित होकर इनकी पूजा की जाती है | 

कहा जाता है कि ये बाल ब्रह्मचारी थे इसलिए इन्हे जनेऊ भी पहनाई जाती है| हनुमान जी की मूर्तियों पर सिंदूर और चांदी का वर्क चढ़ाया जाता है | 

कहा जाता है राम की लम्बी उम्र के लिए एक बार हनुमान जी अपने पूरे शरीर पर सिंदूर चढ़ा लिया था और इसी कारण उन्हें और उनके भक्तों को सिंदूर चढ़ाना बहुत अच्छा लगता है | 

संध्या के समय दक्षिण मुखी हनुमान मूर्ति के सामने शुद्ध होकर हनुमान जी के चमत्कारी मंत्रो का भी जाप किया जाये तो यह अति फलदाई है | हनुमान जयंती पर रामचरितमानस के सुन्दरकाण्ड पाठ को पढ़ना भी हनुमानजी को प्रसन्न करता है |

जानिए हनुमान जयंती मनाने का महत्व—

पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की हनुमान जयंती का समारोह प्रकृति के अद्भुत प्राणी के साथ पूरी हनुमान प्रजाति के सह-अस्तित्व में संतुलन की ओर संकेत करता है। 

प्रभु हनुमान वानर समुदाय से थे, और हिन्दू धर्म के लोग हनुमान जी को एक दैवीय जीव के रूप में पूजते हैं। यह त्योहार सभी के लिए बहुत अधिक महत्व रखता है, हालांकि ब्रह्मचारी, पहलवान और बलवान इस समारोह की ओर से विशेष रूप से प्रेरित होते हैं। 

हनुमान जी अपने भक्तों के बीच में बहुत से नामों से जाने जाते हैं; जैसे- बजरंगबली, पवनसुत, पवन कुमार, महावीर, बाली बीमा, मारुतसुत, संकट मोचन, अंजनिसुत, मारुति, आदि।

हनुमान अवतार को महान शक्ति, आस्था, भक्ति, ताकत, ज्ञान, दैवीय शक्ति, बहादुरी, बुद्धिमत्ता, निस्वार्थ सेवा-भावना आदि गुणों के साथ भगवान शिव का 11वाँ रुद्र अवतार माना जाता है। इन्होंने अपना पूरा जीवन भगवान श्री राम और माता सीता की भक्ति में लगा दिया और बिना किसी उद्देश्य के कभी भी अपनी शक्तियों का प्रदर्शन नहीं किया।

हनुमान भक्त हनुमान जी की प्रार्थना उनके जैसा बल, बुद्धि, ज्ञान का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए करते हैं। इनके भक्तों के द्वारा इनकी पूजा बहुत से तरीकों से की जाती है; कुछ लोग अपने जीवन में शक्ति, प्रसिद्धी, सफलता आदि प्राप्त करने के लिए बहुत समय तक इनके नाम का जाप करने के द्वारा ध्यान करते हैं, वहीं कुछ लोग इस सब के लिए हनुमान चालीसा का जाप करते हैं।

जानिए हनुमान जयंती को मनाने के पीछे का इतिहास—

एक बार, एक महान संत अंगिरा स्वर्ग के स्वामी, इन्द्र से मिलने के लिए स्वर्ग गए और उनका स्वागत स्वर्ग की अप्सरा, पुंजिकस्थला के नृत्य के साथ किया गया। हालांकि, संत को इस तरह के नृत्य में कोई रुचि नहीं थी, उन्होंने उसी स्थान पर उसी समय अपने प्रभु का ध्यान करना शुरू कर दिया। 

नृत्य के अन्त में, इन्द्र ने उनसे नृत्य के प्रदर्शन के बारे में पूछा। वे उस समय चुप थे और उन्होंने कहा कि, मैं अपने प्रभु के गहरे ध्यान में था, क्योंकि मुझे इस तरह के नृत्य प्रदर्शन में कोई रुचि नहीं है। यह इन्द्र और अप्सरा के लिए बहुत अधिक लज्जा का विषय था; उसने संत को निराश करना शुरू कर दिया और तब अंगिरा ने उसे श्राप दिया कि, “देखो! तुमने स्वर्ग से पृथ्वी को नीचा दिखाया है। तुम पर्वतीय क्षेत्र के जंगलों में मादा बंदर के रूप में पैदा हो।”

उसे फिर अपनी गलती का अहसास हुआ और संत से क्षमा याचना की। तब उस संत को उस पर थोड़ी सी दया आई और उन्होंने उसे आशीर्वाद दिया कि, “प्रभु का एक महान भक्त तुमसे पैदा होगा। वह सदैव परमात्मा की सेवा करेगा।” इसके बाद वह कुंजार (पृथ्वी पर बंदरों के राजा) की बेटी बनी और उनका विवाह सुमेरु पर्वत के राजा केसरी से हुआ। 

उन्होंने पांच दिव्य तत्वों; जैसे- ऋषि अंगिरा का श्राप और आशीर्वाद, उसकी पूजा, भगवान शिव का आशीर्वाद, वायुदेव का आशीर्वाद और पुत्रश्रेष्ठी यज्ञ से हनुमान को जन्म दिया। यह माना जाता है कि, भगवान शिव ने पृथ्वी पर मनुष्य के रूप पुनर्जन्म 11वें रुद्र अवतार के रूप में हनुमान बनकर जन्म लिया; क्योंकि वे अपने वास्तविक रूप में भगवान श्री राम की सेवा नहीं कर सकते थे।

सभी वानर समुदाय सहित मनुष्यों को बहुत खुशी हुई और महान उत्साह और जोश के साथ नाच कर, गाकर, और बहुत सी अन्य खुशियों वाली गतिविधियों के साथ उनका जन्मदिन मनाया। तब से ही यह दिन, उनके भक्तों के द्वारा उन्हीं की तरह ताकत और बुद्धिमत्ता प्राप्त करने के लिए हनुमान जयंती को मनाया जाता है।

हनुमान मंत्र:-

मनोजवं मारुततुल्यवेगम्

जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्।

वातात्मजं वानरयूथमुख्यं

श्री रामदूतं शरणं प्रपद्ये।।

हनुमान जी की आरती—

आरती किजे हनुमान लला की| दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥

जाके बल से गिरवर काँपे | रोग दोष जाके निकट ना झाँके ॥

अंजनी पुत्र महा बलदाई| संतन के प्रभु सदा सहाई॥

दे वीरा रघुनाथ पठाए| लंका जाए सिया सुधी लाए॥

लंका सा कोट समुंद्र सी खाई| जात पवनसुत बार न लाई॥

लंका जाई असुर संहारे| सियाराम जी के काज सँवारे॥

लक्ष्मण मूर्छित पडे सकारे| लानि संजिवन प्राण उबारे॥

पैठि पताल तोरि जम कारे| अहिरावन की भुजा उखारे॥

बायें भुजा असुर दल मारे| दाहीने भुजा सब संत जन उबारे॥

सुर नर मुनि जन आरती उतारे| जै जै जै हनुमान उचारे॥

कचंन थाल कपूर लौछाई| आरती करत अंजना माई॥

जो हनुमान जी की आरती गावे| बसहिं बैकुंठ परम पद पावें॥

लंका विध्वंश किए रघुराई| तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई॥

आरती किजे हनुमान लला की| दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥

जानिए हनुमान जयंती पर किये जाने वाले उपाय /टोटके—

हनुमान जयंती के टोटके विशेष फल प्रदान करते है। हनुमान जयंती का दिन हनुमानजी और मंगल देवता की विशेष पूजा का दिन होता है। यह टोटके हनुमान जयंती से आरंभ कर प्रति मंगलवार को करने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। 

पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार कोई व्यक्ति जब तरक्की करता है, तो उसकी तरक्की से जल कर उसके अपने ही उसके शत्रु बन जाते हैं और उसे सहयोग देने के स्थान पर वही उसके मार्ग को अवरुद्ध करने लग जाते हैं। ऎसे शत्रुओं से निपटना अत्यधिक कठिन होता है। 

हनुमान जयंती के दिन 11 पीपल के पत्ते लें। उनको गंगाजल से अच्छी तरह धोकर लाल चंदन से हर पत्ते पर 7 बार राम लिखें। इसके बाद हनुमान जी के मंदिर में चढ़ाएं तथा वहां प्रसाद बांटे और इस मंत्र का जाप जितना कर सकते हो करें। 

“जय जय जय हनुमान गोसाईं, कृपा करो गुरुदेव की नाईं” हनुमान जयंती के बाद 7 मंगलवार इस मंत्र का लगातार जाप करें। प्रयोग गोपनीय रखें। आश्चर्यजनक धन लाभ होगा। हनुमान जयंती का विशेष टोटका बजरंगबली चमत्कारिक सफलता देने वाले देवता माने गए हैं। 

हनुमान जयंती पर उनका यह टोटका विशेष रूप से धन प्राप्ति के लिए किया जाता है। साथ ही यह टोटका हर प्रकार का अनिष्ट भी दूर करता है…. 

कच्ची धानी के तेल के दीपक में लौंग डालकर हनुमान जी की आरती करें। संकट दूर होगा और धन भी प्राप्त होगा। 

पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार अगर धन लाभ की स्थितियां बन रही हो, किन्तु फिर भी लाभ नहीं मिल रहा हो, तो हनुमान जयंती पर गोपी चंदन की नौ डलियाँ लेकर केले के वृक्ष पर टांग देनी चाहिए। स्मरण रहे यह चंदन पीले धागे से ही बांधना है।

- एक नारियल पर कामिया सिन्दूर, मौली, अक्षत अर्पित कर पूजन करें। फिर हनुमान जी के मंदिर में चढ़ाएं। धन लाभ होगा। 

- पीपल के वृक्ष की जड़ में तेल का दीपक जला दें। फिर वापस घर आ जाएं एवं पीछे मुडकर न देखें। धन लाभ होगा।

- हनुमानजी के चरणों में और उनकी सेवा में खुद को समर्पित करे |

- हनुमान चालीसा नित्य पढ़े या तो सुबह नहाने के बाद या रात्रि में सोने से पहले | हो सके तो रोज हनुमान के किसी भी मंदिर में जाकर दर्शन करें |

- हनुमानजी को अति खुश करना हो तो श्री राम का भी सुमिरन करे |

- केले और गुड़ चना का प्रसाद वानरों और जरूरतमंदों को दे |

—पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार हनुमान जयंती के दिन सुंदरकांड, हनुमान चालीसा, हनुमान अष्टक और बजरंग बाण की पूजा करनी चाहिए. क्योकि इस शुभ दिन पर हनुमान जी की पूजा करने से सभी पापों से मुक्ति भी मिलती है और घर में सुख शांति वास करती है.

साथ ही अगर आप रामायण और राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करते हो तो आपको मानसिक और शारीरिक शक्ति मिलती है. 

इस दिन आप हनुमान जी की पूजा करें और उन्हें सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाएं. ये उपाय आपके जीवन में और आपके परिवार में शुभता को लाता है. 

अगर आप दुर्घटनाओं से बचना चाहते हो तो आप हनुमान जयंती के दिन या फिर साल में कम से कम एक बार तो किसी मंगलवार के दिन अपने खून का दान अवश्य करें.

पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार अपने दुश्मनों से मुक्ति को पाने के लिए आप हनुमान जयंती के दिन 5 देशी घी से बने रोट का भोग हनुमान जी को करायें.

— हनुमान चालीसा के एक एक शब्द का अर्थ जाने और पढ़ते समय मन लगाकर पढ़े |

— हनुमान मंदिरों में दान करें |

— हनुमान जी भक्ति संयम और पूर्ण समर्पित होकर करें |

— मंगलवार और शनिवार को बालाजी का व्रत करें |

— अपनी मानवता और अच्छे गुणों को बढ़ाये, नारी और बच्चों के प्रति सम्मान रखे |

— हनुमान चालीसा की पुस्तक मंदिरों में और हनुमान भक्तों में बटवाए |

— जरूरतमंदों के लिए दान जरूर करें |

— सप्ताह में एक बार हनुमान जी के सुन्दरकाण्ड का पाठ जरूर करें |

— हो सके तो हनुमान जी के नाम की माला या अंगूठी जरूर पहने |

— पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार अगर आपके व्यापार में दिन प्रतिदिन गिरावट हो रही है तो आप अपने व्यापार में वृद्धि के लिए हनुमान जयंती के दिन सिंदूरी रंग के लंगोट को हनुमान जी को पहनाएं. आपके व्यापार में दिन दोगुनी और रात चौगुनी उन्नति होने लगेगी. 

— अगर आप हनुमान जयंती के दिन ही किसी हनुमान मंदिर की छत पर लाल झंडा लगाते हो तो इससे आपको आप पर आने वाले आकस्मिक संकटों से मुक्ति मिलती है. 

— अगर आप किसी मानसिक रोगी की सेवा करते हो तो इससे हनुमान जी बहुत प्रसन्न होते है और आपके साथ हमेशा रहते है. साथ ही ऐसा करने से हनुमान जी आपसे आपकी सारी चिंताओं को दूर कर देते है और आपकी मानसिक स्थिति को अच्छा करते है.

– हनुमान जयंती के दिन आप कच्ची धानी के तेल का एक दीपक लें और उसमे एक लौंग डाल लें, इसके बाद आप दीपक को जला कर उससे हनुमान जी की आरती करें. इस टोटके को अपनाने से आपके सभी संकट दूर होते है और आपको धन की प्राप्ति होती है |

आंकड़े का फूल:—

हनुमान जी को आंकड़े के फूल चढ़ाने से भी कार्यो मे आ रही बाधाएं दूर होती है और कम समय पर पूरा होता है |

चुरमे का भोग:—

पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार यदि दोपहर में हनुमान जी की पूजा करते है तो उस पूजा में घी और गुड़ का भोग लगाएं, या गेहूं की मोटी रोटी बनाएं और उसमें घी और गुड़ मिलाकर चूरमा बनाए फिर इस चुरमे का भोग लगाए |

— हनुमान जी को लाल फूलों के साथ जनैउ, सुपारी भी अर्पित करना चाहिये|

— गाय के शुद्ध घी से बने पकवान का भोग हनुमान जी को कभी लगाया जा सकता है|

— पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार यदि शाम को या रात में हनुमान जी पूजा करते हैं तो फल का भोग, विशेष रूप से लगाना चाहिए|

चमेली के तेल का दीपक:—

-चमेली के तेल का पाँच बत्तियों वाला दीपक हनुमान जी के सामने जलाएं एवं इस मंत्र का जप करें–

“साज्यम च वर्तिसम युक्त वहिनाम योजितम मया| दीपं ग्रहान देवेश प्रसीद परमेश्वर ||”


 

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