 Published By:धर्म पुराण डेस्क
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सुव्यस्थित मस्तिष्क के लिए अच्छी नींद जरूरी|
इस बात को अवश्य याद रखें कि जब तक आपका मन-मस्तिष्क नैसर्गिक लय में नहीं होगा और आपके विचारों की तरंगे सुव्यवस्थित नहीं होगी, आप न तो कोई काम ढंग से कर पाएंगे, न ही एक अच्छी नींद ले पाएंगे.
किसी भी तरह के उपचार के प्रभावी होने के लिए अच्छी नींद आना बहुत जरूरी है. किस व्यक्ति को कितना सोना चाहिए, यह हर एक व्यक्ति की प्रकृति के अनुसार अलग-अलग होता है. हर व्यक्ति की अपनी नींद की जरूरत अलग-अलग होती है.
किसी व्यक्ति के लिए हो सकता है मात्र तीन घंटे की ही नींद पर्याप्त हो तो किसी व्यक्ति के लिए संभव हो 13 घंटे सोना जरूरी है. किसी परिवार में दो बच्चे हैं, तो संभव है एक बच्चा अपनी प्रकृति के अनुसार जल्दी उठ जाता है, तो दूसरा देर से उठता होगा.
आप दोनों बच्चों को एक ही नजरिए से नहीं देख सकते, क्योंकि दोनों की शारीरिक संरचना व प्रकृति बिल्कुल भिन्न है. हमारे शरीर की घड़ी का संचालन हमारे दिमाग से होता है, हर व्यक्ति के लिए यह घड़ी अलग-अलग ढंग से कार्य करती है,
आपके अपने प्रतिदिन के 24 घंटों में से कई घंटे तो आपके काम की व्यस्तता में ही गुजर जाते हैं. लेकिन इसके बावजूद भी आपको चाहिए कि आप अपनी नींद के लिए भरपूर समय निकाले, आपको अपने कामकाज में कटौती कर नींद को पहली प्राथमिकता में लाना होगा.
ध्यान-प्रयोग करके भी हम अपनी नींद में कटौती कर सकते हैं. ध्यान भी अपने आप में घनी नींद की तरह है और इसमें नींद अत्यंत तीव्रता के साथ आती है, हम मात्र एक घंटा ध्यान प्रयोग कर मस्तिष्क की तरंगों को व्यवस्थित कर सकते हैं, जबकि नींद के माध्यम से ऐसा होने में 3 से 4 घंटे का समय लगता है.
अगर आप नियमित रूप से ध्यान प्रयोग करें व प्रार्थना करें तो फिर आपके लिए तीन से साढ़े तीन घंटे की नींद ही पर्याप्त होगी, अगर आप मात्र एक साक्षी की तरह शांत बैठ जाएं|
अपनी आंखें बंद कर लें और अपनी श्वास पर ही ध्यान केंद्रित कर हर आने-जाने वाली श्वास को देखें तो इससे आपके ध्यान व सोने का अनुपात 1:5 हो जाएगा. लेकिन एक घंटे तक निर्विचार होकर होशपूर्वक बैठना इतना सहज-सरल नहीं होता.
आप इसकी बजाय मंत्रोच्चार व गायन के माध्यम से यह कार्य ज्यादा सुविधाजनक ढंग से कर सकते हैं और इससे भी यह अनुपात 1:3 का होगा.
हर व्यक्ति की नींद की अपनी एक अलग प्रकृति है और नींद का आकलन बजाय सामान्य घड़ी के शरीर की घड़ी से किया जाना चाहिए. सुबह उठकर अगर आप अपने आपको तरोताजा महसूस नहीं करते हैं तो इसके पीछे मात्र नींद ही कारण नहीं होती है.
इसकी कई वजहें हो सकती है, हो सकता है आपके शरीर में रक्त की कमी हो या शरीर में वात दोष में वृद्धि हो गई हो, आपका भोजन बराबर नहीं पचता हो, आपके शरीर में कृमि हो या आप बहुत ज्यादा तनाव में हों आदि कई कारण हो सकते हैं.
आपको सबसे पहले अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए और जहां तक संभव हो सके शरीर को सहज व प्राकृतिक स्थिति में ही रहने देना चाहिए.
यह सही है कि शरीर के लिए किसी भी तरह की प्राथमिकताएं तय कर लेना एक मुश्किल काम है, क्योंकि हमारे पास समय बहुत कम होता है. आप अगर व्यापारी है तो आप यह कहेंगे "मेरा ग्राहक तो भगवान की तरह है, कोई और काम करने की बजाय उस पर ध्यान देना मेरे लिए बहुत जरूरी है.
लेकिन आपको अपने समय और अपनी नींद व ध्यान के लिए समय निकालने के लिए कहीं न कहीं एक लक्ष्मण रेखा तो खींचनी ही होगी, सबसे पहले तो आपको अपने ग्राहक की एक सही परिभाषा करनी होगी, आपका कोई एक ग्राहक कभी भी भगवान का रूप नहीं हो सकता. भगवान तो आपके अंदर ही मौजूद है.
आपको अपनी प्राथमिकताएं खुद तय करना पड़ेगी और यह तय करना होगा कि मैं स्वस्थ रहूं और अच्छी तरह से सो सकूं. हो सकता है, आपको भेलपुरी बहुत अच्छी लगती हो, लेकिन बेहतर यही है कि इसको रात के समय खाने से बचा जाए, क्योंकि इसकी वजह से आपकी नींद में खलल पड़ेगा.
आप रात्रि में जितना अल्प भोजन करेंगे, आपके शरीर को उतनी ही कम नींद की जरूरत होगी और आप जब सुबह उठेंगे तो अपने आपको तरोताजा महसूस करेंगे.
अगर आप कोई गलत काम करते हैं, किसी की कोई चीज चुरा लेते हैं, किसी के साथ धोखा करते हैं, किसी से झगड़ा करते हैं तो आप अपराध बोध से इस तरह दबे रहते हैं कि आप चैन से सो ही नहीं पाते हैं. मात्र अपने आपको सही साबित करने के लिए विवाद या झगड़ा करने में कोई तुक नहीं है.
आपको अपने अच्छे-बुरे का निर्णय अपनी नींद को प्राथमिकता देते हुए करना चाहिए, इस बात को हमेशा याद रखें कि अगर आप कोई गलत काम करते हैं तो फिर आप चैन की नींद नहीं सो पाएंगे.
हमारा गलत कदाचरण हमारी नींद पूरी नहीं होने का पहला कारण है, हमारा पूरा ध्यान किसी की संपत्ति पर आधिपत्य जमाने या किसी को कुचलकर आगे बढ़ने को लेकर ही लगा रहता है. इस उधेड़बुन की वजह से भी हम कभी ढंग से सो नहीं पाते हैं.
आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में हम नींद नहीं आने के कारणों की गहराई में जाते हैं और उसी के अनुसार उपचार देते हैं. नींद हमारे लिए अत्यंत जरूरी है और जहां तक संभव हो वहां तक हमें नींद को ही प्राथमिकता देना चाहिए.
 
 
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