क्रिया योग, जिसे श्री परमहंस योगानंद जी ने प्रमोट किया, एक उद्विग्न आत्मा को सकारात्मक दिशा में मार्गदर्शन करने वाला एक अद्वितीय योग पथ है। इसका अर्थ है एक विशिष्ट क्रिया द्वारा अनंत परमात्मा के साथ मिलन, जिसमें सच्चे आनंद और आत्मा की प्राप्ति होती है।
क्रिया योग का मूल अर्थ और उद्देश्य:
क्रिया योग का अर्थ है 'क्रिया' या 'कार्रवाई'। इसमें विशेष क्रियाओं का सही ढंग से अभ्यास किया जाता है, जो आत्मा को अनंत परमात्मा के साथ मिलान की ओर पहुंचाते हैं। श्री योगानंद जी ने बताया कि क्रिया योग के माध्यम से योगी धीरे-धीरे कर्मबंधन और कार्य करण संतुलन से मुक्त होता है, जिससे उसका मानव जीवन सकारात्मक दिशा में प्रबल होता है।
प्रिया योग और उसके लाभ:
प्रिया योग, एक सरल प्राणायाम प्रणाली है जो मानव रक्त को ऑक्सीजन से परिचित कराने के साथ-साथ मस्तिष्क और मेरुदंड के चक्रों में नवशक्ति का संचार करती है। इसका अभ्यास करने से योगी अपनी कोशिकाओं को प्राणशक्ति में रूपांतरित करता है और इस प्रकार अशुद्ध रक्त के शिराओं में संचयित होने वाले हास को कम कर सकता है।
प्रिया योग का इतिहास और महत्व:
श्री योगानंद जी ने बताया कि प्रिया योग एक पुनरुत्थान योग है, जो श्रीकृष्ण ने अर्जुन को पहले दिया था और जिसे बाद में पतंजलि, संत जॉन, सेंट पॉल, और इस मसीह के अन्य शिष्यों ने प्राप्त किया। यह विशेष तकनीक से योगी प्राण और अपनी दोनों की गति को रूठ कर देता है और इस प्रकार हृदय से मुक्त होकर प्राणशक्ति पर नियंत्रण प्राप्त कर लेता है।
संग के साथ क्रिया योग:
प्रिया योग में क्रियाओं की सही विधि और ध्यान की महत्वपूर्णता है। योगी को यह प्राकृतिक प्रक्रिया का अद्भुत अनुभव होता है जिससे उसे अपने आत्मा के सबसे गहरे स्वरूप का अवबोध होता है। इसमें क्रिया और ध्यान के संयोजन से योगी अपनी आत्मा की ऊँचाइयों को छूने का अद्वितीय अनुभव करता है।
क्रिया योग का अंतिम उद्देश्य:
क्रिया योग का अंतिम उद्देश्य है योगी को सर्वदा मुक्ति की प्राप्ति करना, जिससे उसे चर्म लक्ष्य की प्राप्ति होती है। इस प्रशिक्षण के माध्यम से योगी ध्यान पारंगत, मोक्ष प्राणी और सदा के लिए मुक्त हो जाता है।
समाप्त करते समय, आपको यहाँ यह ध्यान देना जरूरी है कि क्रिया योग एक अद्वितीय और प्रभावशाली योग प्रणाली है जो आत्मा के सच्चे अभिवादन की ओर एक प्रशिक्षण प्रदान करती है। इस प्रकार, क्रिया योग न केवल शारीरिक बल्कि मानव जीवन के सार्वभौमिक दृष्टिकोण से भी अद्वितीय है।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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