कर्मयोग (Karmayoga): भगवान श्रीकृष्ण ने कर्मयोग की महत्वपूर्णता को समझाया है। वे कहते हैं कि हमें अपने कर्म में समर्पित रहना चाहिए और फल की चिंता नहीं करनी चाहिए। यह हमें अपने कर्मों को निष्काम बनाने की सीख देता है और सच्ची प्रगति और समृद्धि की ओर ले जाता है।
भक्ति (Bhakti): भगवान श्रीकृष्ण ने भक्ति की महत्वपूर्णता को भी बताया है। उन्होंने गीता के माध्यम से भक्ति के अलग-अलग मार्गों की बात की है। वे कहते हैं कि प्रेम, भक्ति और समर्पण के माध्यम से हम ईश्वर के पास जा सकते हैं और आत्मिक उन्नति की प्राप्ति कर सकते हैं।
आत्म-विश्वास (Self-Confidence): भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को महाभारत के युद्ध में आत्म-विश्वास के महत्व के बारे में बताया। वे कहते हैं कि अपने क्षमताओं, कर्मों और धर्म के प्रति आत्म-विश्वास रखें। यह हमें सफलता की ओर आगे बढ़ाने और अड़चनों को पार करने में मदद करता है।
समय का महत्व (Value of Time): भगवान श्रीकृष्ण ने समय की महत्वपूर्णता को भी बताया है। वे कहते हैं कि समय अत्यंत मूल्यवान है और हमें इसकी कीमत को समझनी चाहिए। हमें अपने कर्मों को समय पर करना चाहिए और आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए समय का उपयोग करना चाहिए।
संयम (Self-Control): भगवान श्रीकृष्ण ने संयम की महत्व को भी बताया है। वे कहते हैं कि हमें अपने संवेदनशीलता, इच्छाओं और इंद्रियों को नियंत्रित करना चाहिए। संयम विकास के माध्यम से हम अपने मन को स्थिर और शांत रख सकते हैं और सही निर्णय लेने में सहायता कर सकते हैं।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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