निश्चित लक्ष्य का चयन:
जीवन के लक्ष्य को स्पष्ट और निश्चित रूप से चयन करें। स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के अनुसार, यदि लक्ष्य स्पष्ट होगा, तो उसे प्राप्त करने का मार्ग स्वयं ही प्रगट हो जाएगा।
समर्पण और प्रतिबद्धता:
लक्ष्य प्राप्ति के लिए समर्पण और प्रतिबद्धता बहुत महत्वपूर्ण हैं। यह साफ करता है कि आप अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए पूर्णता के साथ समर्पित हैं।
सांगठनित योजना:
एक अच्छी योजना बनाएं जो सांगठनित हो, और आपको अपने लक्ष्य की दिशा में मदद करे।
कठिनाईयों का सामना:
लक्ष्य प्राप्ति में कठिनाईयों का सामना करें और उन्हें अवसर में बदलने का प्रयास करें। ये आपको मजबूत बनाएंगे।
सकारात्मक मानसिकता:
लक्ष्य प्राप्ति के लिए सकारात्मक मानसिकता बनाए रखें। स्वामी जी कहते हैं कि सकारात्मक सोच आपको मुश्किलें पार करने में मदद करती है।
निर्णय का साहस:
जब आपने अपना लक्ष्य निर्णय कर लिया है, तो उसे प्राप्त करने के लिए साहस दिखाएं। दुर्भाग्यवश यदि कई बार गिरें भी, तो साहस और पुनर्निर्णय के साथ उठें।
सहारा और मेंटर:
अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सहारा लें और एक मेंटर चुनें, जो आपको मार्गदर्शन कर सके।
आत्म-मूल्यांकन:
समय-समय पर अपना आत्म-मूल्यांकन करें और जांचें कि आप अपने लक्ष्य की दिशा में सही कदमों में हैं या नहीं।
उदार:
अपने समय, उपाधियां, और धन का उदार करें। अपनी सफलता को दूसरों के साथ साझा करें और उन्हें भी प्रेरित करें।
ये सिद्धांत लोगों को अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में मदद करने के लिए स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र में उपस्थित हैं।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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