 Published By:दिनेश मालवीय
 Published By:दिनेश मालवीय
					 
					
                    
कुछ दिन पहले भोपाल के एक सरकारी अस्पताल में कुछ बच्चों के जलकर मर जाने की हृदय विदारक घटना हुयी. इसने सभी को हिलाकर रख दिया. दूसरे दिन अखबार में इस घटना की फोटो सहित खबर छपी. इस खबर के बराबर ही भारत की क्रिकेट गीम में इंदौर के एक नौजवान के सिलेक्शन पर उसके परिवार के जश्न मनाने की भी फोटो सहित ख़बर लगी थी. क्या किया जाये? अख़बारों की अपनी सोच है.
इससे एक विचार यह उपजा, कि संसार में एक ही समय में अच्छी और बुरी घटनाएं हर समय घटती रहती हैं. सुख और दुख दोनो एक साथ रहते हैं. कवि प्रदीप ने इस विषय में बहुत सुंदर गीत लिखा है, जिसका मुखड़ा है, कि “सुख-दु:ख दोनों रहते जिसमें, जीवन है वो गाँव, कभी धूप कभी छाँव”. नीरज ने भी लिखा है, कि “काल का पहिया घूमे भैया, लाख तरह इंसान चले, कभी चले बारात कभी तो कभी बिना सामान चले”.
निदा फाजली का बड़ा मशहूर दोहा है...
सीधा-साधा डाकिया, जादू करे महान
एक ही थैले में भर आंसू और मुस्कान.
संसार भर के कवियों, संतों और दार्शनिकों ने इस विषय पर ख़ूब लिखा है और क्या ख़ूब लिखा है!
सचमुच जीवन बहुत अबूझ पहेली है. कोई नहीं कह सकता,कि अगले ही क्षण कब, कहाँ और किसके साथ क्या जो जाये. जीवन में हमेशा न सुख ही सुख रहता और न दु:ख ही दुःख. दोनों बारी बारी से आते-जाते रहते हैं. इंसान भूल यह करता है, कि वह सुख ही सुख की कामना करता रहता है, जो संभव ही नहीं है. कोई कितनी ही भक्ति करले, पूजा-पाठ कर ले, कितना ही दान-पुण्य कर ले, सुख और दुख दोनों अपने पूर्व कर्मों के अनुसार आते-जाते रहेंगे. ईश्वर के इस अटल विधान को कोई नहीं टाल सकता.
लोग अक्सर पूछते हैं, कि भले और ईश्वर की भक्ति करने वाले लोगों के जीवन में कष्ट क्यों अधिक होते हैं? ऐसा नहीं होना चाहिए. कुछ लोग कहते हैं, कि ईश्वर की भक्ति करने वालों के जीवन में क्या दुख नहीं आते? परम तत्व का अनुभव करने वाले लोगों ने इस बात को बहुत स्पष्ट रूप से कहा है, कि दु:ख तो आते हैं, लेकिन उनके प्रति ऐसे लोगों का दृष्टिकोण अलग होता है. जहाँ दूसरे लोग दुःख में विचलित हो जाते हैं, वहीं ये लोग अविचलित रहते हैं. वे इस बात को मानते हैं, कि सुख-दुःख हमारे ही अर्जित किये हुए हैं.
ये सदा नहीं रहते. आगे का जीवन अच्छा हो इसके लिए अच्छे कर्म करते रहो. भगवान् श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भागवत गीता में कहा है, कि जो मनुष्य सुख में बहुत नहीं फूलता और दुःख में विचलित नहीं होता, वही स्थितप्रज्ञ यानी सच्चा ज्ञानवान है. इंसान हमेशा से दुख से छूटने के उपाय करता रहा है. अनेक लोगों ने तो जीवन को दुखमय मानते हुए जीवन और कर्म से ही पलायन कर दिया. आज भी कुछ नासमझ लोग ऐसा कर देते हैं. लेकिन इससे उन्हें दुखों से छुटकारा नहीं मिलता. इसके विपरीत कर्म से विमुख होने का एक कर्म और अर्जित हो जता है, जो आने वाले जीवन में और अधिक दुःख देता है.
भारत के जीवन-दर्शन में सुख-दुःख से आगे की एक अवस्था बतायी गयी है, जो किसी दूसरे दर्शन में नहीं मिलती. इसमें सुख-दुःख से आगे आनंद की बात कही गयी है. आनंद का स्रोत मनुष्य के भीतर ही है. आनंद की अवस्था में पहुंचा हुआ व्यक्ति को सुख और दुख दोनों से ऊपर उठ जाता है. भारत में आनंद को जीवन का परम लक्ष्य माना गया है, जिसका मतलब है, कि सुख-दुःख से ऊपर एक ऐसी अवस्था प्राप्त करना, जिसमें इन दोनों भावों का अभाव हो. महाकवि जयशंकर प्रसाद की “कामायनी” में उन्होंने आनंद की ही प्रतिष्ठापना की, जो इच्छा, क्रिया और ज्ञान के समन्वय से प्राप्त होती है. सिर इच्छा करना पर्याप्त नहीं है, उसकी पूर्ति के लिए क्रिया यानी कर्म करना आवश्यक है.
कर्म भी ज्ञान के साथ किया जाना चाहिए, अज्ञान में हर कुछ करके उसे कर्म नहीं समझ लेना चाहिए. इन तीनों का समन्वय होने पर ही आनंद प्राप्त होना संभव है. इस आनंद की अवस्था हो की अन्य शब्दों में जीवन-मुक्ति या मोक्ष कहा गया है. यह आनंद कहीं बाहर से नहीं आता. इसका स्रोत भीतर है. लिहाजा सुख-दुःख के गाँव में रहकर भी नहीं रहा जाए. आनंद प्राप्त करने की ओर बढ़ा जाए.
 
                                मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
February 24, 2024 
                                यदि आपके घर में पैसों की बरकत नहीं है, तो आप गरुड़...
February 17, 2024 
                                लाल किताब के उपायों को अपनाकर आप अपने जीवन में सका...
February 17, 2024 
                                संस्कृति स्वाभिमान और वैदिक सत्य की पुनर्प्रतिष्ठा...
February 12, 2024 
                                आपकी सेवा भगवान को संतुष्ट करती है
February 7, 2024 
                                योगानंद जी कहते हैं कि हमें ईश्वर की खोज में लगे र...
February 7, 2024 
                                भक्ति को प्राप्त करने के लिए दिन-रात भक्ति के विषय...
February 6, 2024 
                                कथावाचक चित्रलेखा जी से जानते हैं कि अगर जीवन में...
February 3, 2024 
                                
                                 
                                
                                 
                                
                                 
                                
                                 
                                
                                