'न जाने वादे सबा कह गई मजाक में क्या, कि हंसते-हंसते शमूकों की आंख भर आई। 'सुबह की हवा ने ये कैसा परिहास किया? जिसे सुनकर कलियां यूं खिलखिलाकर हंसी कि उनकी आंखें तक भीग गई।
किसी शायर की इन पंक्तियों को जरा कल्पना पटल पर तो लाइए, आपका मन चहक उठेगा और होठों पर उम्मीदों से खनकती हंसी तैर जाएगी।
विनोदी, दिलचस्प, खुशमिजाज, जिंदादिल लोगों के साथ का सकारात्मक असर तुरंत आपके मूड पर भी हो जाता है। हंसी की ये तरंगें चंद पलों में आपको जीवन ऊर्जा से सराबोर कर देती हैं।
विलियम जेम्स कहते हैं- 'हम खुश हैं इसलिए नहीं हंसते बल्कि हम हंसते हैं इसलिए खुश हैं। हंसने, मुस्कुराने, चहकने और खिलखिलाने का बेशकीमती हुनर सिर्फ जन्मजात ही नहीं मिलता इसे हासिल भी किया जा सकता है
यूं ही नहीं मिलते खिलखिलाने के अवसर..
जिंदगी के प्रति आशावादी नजरिया और उमंगित, उत्साही रुख रखकर एक दिलचस्प और खुशमिजाज इंसान बनने का प्रयास करते रहिए। रोजमर्रा की घटने वाली सहज घटनाओं, प्रसंगों और संवादों के बीच टुकड़े पर टुकड़े बिखरी पड़ी हंसी की सौगातों को झपट्टा मार कर उड़ा लीजिए।
घर, दफ्तर, बाजार में, आवागमन के दौरान, आस-पड़ोस या मित्रमंडली की गप्पगोष्ठियों के बीच खिलखिला कर हंसने के जब-तब मिलने वाले मौकों को वरदान की तरह स्वीकार कर अपनी मुस्कान बिखेरते रहिए। अपनी यादों की पोटलियों में से खुशी से सराबोर मजेदार सौगातें निकालिए और इनके दोहराव से बार-बार खुश हो लीजिए।
साझा कीजिए खुशनुमा पलों को..
बड़ा ही खूबसूरत कथन है अगर आप आज हंसे नहीं समझ लीजिए आप आज जिए नहीं| तो क्यों न हंसी व भी जुगाड़ की जाए और अपने साथ घटित हुए या नजर में आए मजेदार घटनाक्रमों को अपने परिवार के सदस्यों, समूह और मित्र मंडली के साथ साझा किया जाए। इस कोशिश में आप खुद भी बारबार हंसेंगे और दूसरों को भी हसाएंगे। खुशियां बांटने से बढ़ती हैं, इसलिए खुशियों को बांटे। पूरे वातावरण में खुशनुमा तरंगें घुल जाएंगी।
फायदे ही फायदे..
खिलखिलाहट में हीलिंग पावर होता है इसलिए उपचार पद्धति के रूप में भी हंसी महत्वपूर्ण है। जी खोलकर हंसने से मन-मस्तिष्क और शरीर की स्फूर्ति बढ़ती है। शरीर के सभी अंगों और कोशिकाओं में ऑक्सीजन की आपूर्ति और स्तर सुचारू और नियमित होता है।
शोध बताते हैं। कि ठहाके लगाने से पूरे शरीर की मांसपेशियों में एक तरंग-सी दौड़ जाती है और हमारे उत्साहवर्धन में सहायक, प्राकृतिक दर्द निवारक हार्मोन एंडोर्फिन उत्सर्जित होने लगता है। खुशमिजाजी आपको लोकप्रिय बनाती है, जिंदादिल किस्म के इंसान शीघ्र ही समारोहों और समूहों के केंद्रबिंदु बन जाते है।
रोज की तमाम आपाधापी के बीच भी है गुंजाइश..
रोजाना की तमाम आपाधापी, भागमभाग और एकरसता के बीच भी खूब गुंजाइश भरी पड़ी हैं छनछनाती हंसी और उन्मुक्त ठहाकों की। बस, आप खुलकर हंसने-हंसाने का मुद्दा रखिए। फिर देखिएगा आप भी ढेरों लतीफे खोज लेने में कामयाब हो जाएंगे।
बहुरंगी जीवन के गलियारे और कोने आंतर हंसी ठहाके के सामानों से अटे हैं, इनको ढूंढ निकालिए, अपने हास्यबोध का पुट दीजिए। धीरे-धीरे आप लतीफेबाजी में माहिर हो जाएंगे। खुद पर हंसने का हुनर भी रखिएगा।
किस्म-किस्म की नादानियाँ, हड़बड़ी और भूलचूक के चलते कई बार हम खुद ही हास्य के पात्र बनकर चुटकुले में तब्दील हो जाते हैं ऐसे मौकों पर खीजने, खिसियाने या भुनभुनाने की बजाय खुद भी जी खोलकर हंस लीजिए और दूसरों को भी अपनी इस भूल चूक से आनंदित होने दीजिए।
कुछ कायदे भी हों..
हमेशा स्मरण रहे कि आपकी हंसी किसी की तकलीफ की वजह बनकर उसे आहत न करे। किसी की लाचारी, कुदरती कमतरी या कमजोर पक्ष का मजाक बनाने से तौबा करें।
हास-परिहास के दौरान मर्यादा, भद्रता की सीमा रेखा का उल्लंघन न करें। फूहड़ भद्दे हंसी-मजाक में कतई भागीदारी न करें बल्कि विरोध करें। स्वस्थ खिलखिलाहटों के वाहक बने.
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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