अपने जीवन में शिष्टाचार और आदर्शों का पालन करने के लिए कुछ जीवनोपयोगी नियम यहाँ प्रस्तुत है।
सम्मानपूर्ण व्यवहार: अपने सभी वर्ग के लोगों के साथ सद्भावनापूर्ण और सम्मानपूर्ण व्यवहार करें।
आदर और समर्पण: बड़ों, गुरुजनों और उपाध्यायों का समर्पण और आदर करें। उनकी सीख सुनें और उनके दिशानिर्देशों का पालन करें।
संयम और संयमित खर्च: अपने खर्च पर संयम बनाए रखें और उचित तरीके से पैसों का खर्च करें।
कर्मयोग: कर्म करते समय निष्कलंक भावना से कर्म करें। आपके कर्म आपकी पहचान बनाते हैं।
सेवा और दया: दूसरों की मदद करने का प्रयास करें और उनकी समस्याओं में सहायता प्रदान करें।
शिक्षा का महत्व: अपनी शिक्षा में समर्पित रहें और नैतिक मूल्यों को अपने शिक्षा के हिस्से के रूप में ग्रहण करें।
स्वस्थ जीवनशैली: स्वस्थ रहने के लिए नियमित व्यायाम, सही आहार और स्वच्छता का पालन करें।
समय का महत्व: समय का मूल्य समझें और उसका सदुपयोग करें। क्रियाशीलता में समय की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
स्वयं विकास: सदैव आत्मा से प्रेम करें और स्वयं के उन गुणों का विकास करें जो आपको बेहतर व्यक्ति बनाते हैं।
शांति और सामंजस्य: विवादों से बचें और समस्याओं का समाधान शांति और सामंजस्यपूर्णता के साथ करने का प्रयास करें।
ये जीवनोपयोगी नियम आपके जीवन को सफल, समृद्ध और खुशहाल बनाने में मदद कर सकते हैं।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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