जीवन को जीने के हज़ार ढंग हैं| इसका कोई सर्वमान्य तरीका नहीं, ना ही कोई ऐसा फार्मूला है कि आप ठीक ठीक उसी तरह जियें| यदि हर व्यक्ति को एक ही फोर्मुले पर जीना हो तो फिर मनुष्य और मशीन में कोई फर्क नहीं| फिर भी कुछ बातें ऐसी निकलती हैं जो आदर्श मानी जाती है हालांकि ये भी अंतिम नहीं अंतिम तो हमारी खुद की समझ है| हम जैसे जीना चाहें जियें लेकिन देश काल और परिस्थिति के मुताबिक चलना कम प्रतिरोध पैदा करता है| एक ही समय में एक स्थान पर पूरे कपड़े न पहनना असभ्यता हो सकती है, निर्वस्त्र घुमने पर पत्थर पड़ सकते हैं उसी समय दुनिया में एक आदिवासी संस्कृति ऐसी भी हो सकती है जहाँ कपड़े न पहनना कोई अपसंस्कृति नहीं|
आपको उस देश उस काल और उस समय की परिस्थिति का खयाल रखना होता है| ऐसे ही कुछ बातें और हैं जो समझ आती हैं| जैंसे इस तरह दान-धर्म न करो कि-अहंकार हो जाये। इस तरह न कमाओ कि पाप हो जाए। इस तरह न खर्च करो कि कर्ज हो जाए। इस तरह न खाओ कि - अपच हो जाए। इस तरह न चलो कि- देर हो जाए। इस तरह न जिओ कि- जीवन बेकार हो जाए। ऐसा मत बोलो कि- क्लेश या झगड़ा हो जाए। अहंकार एक ऐसा भाव है जिसको किसी भी संस्कृति या काल में सही नहीं माना गया| इस भाव के साथ किया गया कोई दान पुण्य नहीं ऐसी मान्यता सच के करीब लगती है|
पाप की कमाई का लगभग हर देश काल और परिस्थिति में विरोध हुआ है| पाप की कमाई से मतलब ऐंसे रस्ते को अख्तियार करना जिससे उस समय का कानून टूटता हो या जिससे दूसरों के हक को नुकसान पहुंचता हो| खाने पीने के नियम हर जगह समान हैं| चाहे कोई हिंदू हो या मुसलमान,यहूदी हो या इसाई| कोई भी संक्रामक या ज्यादा खाना लेगा तो तकलीफ होना तय है| बोले गये शब्द का बहुत महत्व है| समय के साथ कदमताल करना हर एक के लिए ज़रूरी है| क्या अच्चा क्या बुरा ये समझना मुश्किल नहीं, बस आँख खुली हो, कान खड़ें हों, दिमाग चौकन्ना हो और विवेक जागृत हो|
ज़रूरी नही कि कहीं लिखा है, इसलिए उसे माना जाए, हमारी बुद्धि भी तो है| जीवन तो कर्ज की तरह है, मृत्यु को कर्ज की तरह कुछ और समय टालने का हमारा स्वभाव है। इसलिए कर्ज और वासना से मुक्ति के लिए उपासना करो ऐसा कहा जाता है। ये भी एक मान्यता है कि सांसारिक व्यवहारों के लिए व्यवसाय करना पाप नहीं, पर धंधे में ईश्वर को भूल जाना पाप है। दरिद्रता से धनवान होने तक की जटिल प्रक्रिया ही मनुष्य को ज्ञानवान बनाती है। वर्तमान समय में जो सफल है वही ज्ञानी है| इसलिए ज्ञानियों ने कुछ बातें सर्वमान्य रूप से कही जो सफलता के सूत्र माने जाते हैं|
बोलो कम - सोचो ज्यादा खाओ कम - कमाओ ज्यादा सोओ कम - पढ़ो ज्यादा हँसो कम · मुसकराओ ज्यादा दौड़ो कम - चलो ज्यादा लिखो कम - विचारो ज्यादा कहो कम - करो ज्यादा सुनाओ कम - सुनो ज्यादा लालच, गुस्सा, जिद रखो कम, त्यागो ज्यादा ताकीद किया गया अपने हाथ हमेशा खुले रखें। थोथे विचार, बन्द हाथों (कंजूसी) से संसार में कुछ नहीं समेट पाओगे, जैसे कि मधुमक्खियां मधुमक्खियाँ दान नहीं करतीं, इसीलिए उनका शहद नष्ट हो जाता है या तोड़ लिया जाता है। ये सब बातें अच्छी मानी जाती हैं एक बार इन्हें जीवन में उतार कर देखें|
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
February 24, 2024यदि आपके घर में पैसों की बरकत नहीं है, तो आप गरुड़...
February 17, 2024लाल किताब के उपायों को अपनाकर आप अपने जीवन में सका...
February 17, 2024संस्कृति स्वाभिमान और वैदिक सत्य की पुनर्प्रतिष्ठा...
February 12, 2024आपकी सेवा भगवान को संतुष्ट करती है
February 7, 2024योगानंद जी कहते हैं कि हमें ईश्वर की खोज में लगे र...
February 7, 2024भक्ति को प्राप्त करने के लिए दिन-रात भक्ति के विषय...
February 6, 2024कथावाचक चित्रलेखा जी से जानते हैं कि अगर जीवन में...
February 3, 2024