Published By:दिनेश मालवीय

जन-जन के प्रिय देवता श्री हनुमान- हर किसी को अपने लगते हैं- अनेक मुस्लिम भी हैं हनुमान भक्त -दिनेश मालवीय

जन-जन के प्रिय देवता श्री हनुमान- हर किसी को अपने लगते हैं- अनेक मुस्लिम भी हैं हनुमान भक्त -दिनेश मालवीय 

श्री हनुमान एक ऐसे देवता हैं, जो जन-जन में बहुत लोकप्रिय हैं. हर कोई उन्हें अपने रक्षक के रूप में देखता है. कश्मीर से कन्याकुमारी तक हर गाँव और नगर में हनुमान जी के मंदिर जहाँ-तहाँ मिलते हैं. भारत ही नहीं नेपाल, मलेशिया, इंडोनेशिया, जापान, जावा सहित अनेक देशों में हनुमान जी बहुत लोकप्रिय हैं और उन्हें विभिन्न रूपों में पूजा जाता है.

दुनिया के किसी भी देश में जहाँ भारतवंशी सनातन रहते हैं, वहां हनुमान जी उनके जीवन के अभिन्न अंग हैं. औरों की तो बात ही छोडिये, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा तक हनुमान जी के भक्त हैं. उन्होंने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया है कि वह हनुमान जी की छोटी-सी प्रतिमा हमेशा अपने पास रखते हैं. 

हनुमान जी को लेकर अनेक जिज्ञासाएँ हैं. उनकी पूजा कब से शुरू हुयी. उनका वर्णन वेदों और पुराणों में मिलता है कि नहीं, इत्यादि. हनुमान जी का वर्णन वेदों और पुराणों सहित उनके ग्रंथों में मिलता है. इस पर अलग से चर्चा की जाएगी. उनकी पूजा कब से शुरू हुयी यह कहना निश्चय ही बहुत कठिन है. वाल्मीकि रामायण में प्रत्यक्ष रूप से बहुत विस्तार से हनुमान जी के चरित्र का वर्णन मिलता है. 

श्री राम कथा से संबंधित सभी काव्यों में हनुमान जी के चरित्र को बहुत उदात्त, उज्ज्वल, आदर्श और अनुकरणीय बताया गया है. उनके बहुत रूप हैं. वह श्री राम, सीता और लक्ष्मण के सेवक ही नहीं, बल्कि धीर, वीर और बुद्धिमानों में अग्रणी हैं. हनुमान जी की क्षमताओं को शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता. वह शतयोजन समुद्र को एक ही छलांग में लांघ जाते हैं, उस समय के सबसे बड़े आततायी रावण की लंका को नष्ट कर देते हैं, उसकी सभा में ही उसे निर्भीकता से फटकार लगाते हैं, उसके महाबली पुत्र इन्द्रजीत को मार डालते हैं, लक्ष्मण की जीवन-रक्षा के लिए हिमालय से रातों-रात संजीवनी बूटी वाला पर्वत लेकर आ जाते हैं और ऐसे अंसंख्य कार्य करते हैं, जो किसी साधारण व्यक्ति के वश की बात ही नहीं है. 

वाल्मीकि रामायण और रामचरितमानस में हनुमान जी का प्रवेश किष्किन्धाकाण्ड से होता है. सुंदरकांड तो एक तरह से उन्हीं के नाम है. लंका कांड में भी उनका बहुत प्रसार है. संस्कृत के रामकाव्यों और अनेक रामायणों, पुराणों और नाटकों में उनका चित्रण है. प्राकृत, अपभ्रंश कावों और आधुनिक साहित्य में भी उनका खूब वर्णन मिलता है. तुलसीदास और हनुमान जी श्रीरामचरितमानस के रचयिता संत तुलसीदास तो अपने इस अद्वितीय ग्रन्थ का सारा श्रेय ही हनुमान जी को देते हैं.कहते हैं कि चित्रकूट में श्री राम और लक्ष्मण के दर्शन उन्हें हनुमान जी ने ही करवाए थे. 

तुलसीदास जी ने काशी में आठ प्रमुख हनुमान मंदिरों की स्थापना की थी, जिसमें संकट मोचन, हनुमान फाटक और हनुमानगढ़ी के हनुमान शामिल हैं. आचार्य रामचंद्र शुक्ल के अनुसार गोस्वामी तुलसीदास ने लोकरक्षक, आदर्श पुरुष भगवान के मर्यादा पुरुषोत्तम राम को अवतारी मानकर समाज के पुनरुत्थान का कार्य किया. गोस्वामी जी का यह कार्य वैष्णवों की उपासना में रामानुज-रामानंद और उपनिषद के दर्शन के लोक सुधारक का समन्वित रूप है. 

तुलसीदास का श्री राम-दर्शन समाज-चेतना से अनुप्राणित है. श्री राम कथा, श्री राम चरित्र, श्री राम भक्ति के माध्यम से उन्होंने अपने सुख के साथ ही लोकहित और समाज सेवा का कार्य भी किया. कहते हैं, जब-जब भी तुलसीदास पर कोई संकट आया, तब हनुमानजी ने ही उनकी रक्षा की. जब उन्हें बांह में कष्टदायक रोग हुआ तो उन्होंने हनुमान बाहुक रचना कर इस रोग से मुक्ति पायी. हनुमान जी पर आस्था रखने वाले अनेक ऐसे लोग मिल जायेंगे जो बताते हैं कि संकट आने पर उन्हें हनुमानजी ने कैसे सहायता की. 

मुस्लिम हनुमान भक्त होने पर इस्लाम धर्म के अनुयायी अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की हनुमान भक्ति की चर्चा की. अब हम दो और प्रसिद्द मुस्लिमों की हनुमान जी में अगाध आस्था की चर्चा करेंगे. विश्व प्रसिद्ध शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ काशी के ही रहने वाले थे. वह जब भी काशी में होते थे तो सुबह चार बजे से संकट मोचन हनुमान मंदिर में शहनाई बजाकर उनकी आराधना करते थे. मुसलमान होते हुए भी उनकी हनुमानजी में बहुत आस्था थी. 

फिल्म अभिनेता  और निर्माता-निर्देशक संजय खान की हनुमान जी में गहरी आस्था है. एक बार उन्होंने हिंदुस्तान टाइम्स में एक लेख लिखा था, जिसमें उन्होंने इस बात को स्वीकार किया था कि हनुमान जी उनके ह्रदय के बहुत करीब हैं. उनके गुणों से वह बहुत प्रभावित हैं. संजय खान ने प्रसिद्ध धारावाहिक "जय हनुमान" का भी निर्माण किया, जो बहुत प्रामाणिक और लोकप्रिय है. ये लोग तो काफी प्रसिद्ध है, लेकिन अनेक ऐसे साधारण मुस्लिम भी हैं, विशेषकर गांव-कस्बों में, जो हनुमान जी में बहुत आस्था रखते हैं. उन्हें जय राम जी कहने में कोई संकोच नहीं होता और मंदिर में शीश भी नवाते हैं. 

इस प्रकार हम देखते हैं कि हनुमानजी जितेन्द्रिय, ब्रह्मचारी, निस्वार्थ, निष्काम, निर्लोभ और निराभिमानी हैं. वह परम भक्त, श्री राम के अनन्य सेवक, बुद्धिमानों में श्रेष्ठ और परोपकारी होने के साथ दुखी लोगों को कष्टों से मुक्ति दिलाते है. वह संकटमोचन, संकीर्ण, उर रोग-शोक से मुक्त कराने वाले देवता हैं. अपने इन्ही गुणों की कारण हनुमान जी बहुत लोक प्रचलित और लोकप्रिय देवता हैं. उनके भक्त नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं.

 

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