Published By:धर्म पुराण डेस्क

महालक्ष्मी व्रत: कैसे और क्यों की जाती है, माता लक्ष्मी की पूजा? जानिए पूजन का विधान

सार:- 

महालक्ष्मी व्रत में हाथी पर बैठी मां लक्ष्मी की पूजा का विधान है, माता लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करने से यश और धन की प्राप्ति होती है।

विस्तार: 

महालक्ष्मी का ये व्रत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। इस बार यह व्रत 17 सितंबर यानी कि आज रखा जाएगा। इस दिन को कन्या संक्रांति के रूप में भी मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को रखने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और व्रत करने वालों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। इस व्रत को धन की देवी महालक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए रखा जाता है।

महालक्ष्मी व्रत की शुरुआत राधा अष्टमी से होती है, जिसका समापन माता लक्ष्मी की पूजन और व्रत के साथ आज होगा। महालक्ष्मी व्रत के समापन के दिन शाम को पूजा करके कथा करने के साथ-साथ मां लक्ष्मी की आरती भी जाती है। माता लक्ष्मी को विविध पकवानों का भोग लगाया जाता है, ऐसा माना जाता है, कि आरती और मंत्र पढ़ने से व्रत का फल दोगुना हो जाता है।  

हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास की अष्टमी तिथि की शुरुआत 17 सितंबर को दोपहर 02 बजकर 33 मिनट पर होगी, और इसका समापन 18 सितंबर को शाम 04 बजकर 33 मिनट पर होगा। माता लक्ष्मी के व्रत में 16 के आंकड़े का विशेष महत्व माना जाता है, इसी के चलते महालक्ष्मी व्रत के लिए जो भी पूजन सामग्री ली जाती हैं, वे संख्या में 16-16 ली जाती हैं।

दो सूप, 16 मिट्टी के दिये, प्रसाद के लिये सफेद बर्फी, फूल माला, तारों को अर्घ्य देने के लिये यथेष्ट पात्र, 16 गांठ वाला लाल धागा और 16 चीजें, हर चीज सोलह की गिनती में होनी चाहिए, जैसे 16 लौंग, 16 इलायची या 16 सुहाग के सामान आदि। इस व्रत में अन्न ग्रहण नहीं किया जाता और 16वें दिन पूजा कर इस व्रत का उद्यापन किया जाता है।

शास्त्रों में इस बात का उल्लेख है कि महालक्ष्मी व्रत के दौरान द्वापर युग में महारानी कुंती ने अपने पुत्र अर्जुन से कहकर स्वर्ग से ऐरावत हाथी मंगवा कर लक्ष्मी का पूजन किया था, जो बाणों के पुल से होकर स्वर्ग से सीधे माता कुंती पूजन मंडल में उतर आया था, कहा जाता है, कि बस तभी से महालक्ष्मी व्रत के दौरान हाथी पूजन की परंपरा है। 

महालक्ष्मी व्रत के दिन ये उपाय ज़रूर करें-

1. महालक्ष्मी व्रत पर श्रीयंत्र की पूजा विधि-विधान से करके स्थापित करें। श्री यंत्र को धन वृद्धि और समृद्धि का कारक माना जाता है।

2. पुराने चांदी के सिक्कों को कौड़ी के साथ रखकर महालक्ष्मी पूजन के समय केसर और हल्दी से पूजन करें। पूजन के बाद उन्हें तिजोरी में रख दें। माना जाता है कि इस उपाय से धन-संपदा में वृद्धि होती है।

3. महालक्ष्मी व्रत के दिन शाम को मां लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करें और इसके बाद मां लक्ष्मी के चरणों में 7 कौड़ियां अर्पित करें। इस कौड़ियों को बाद में घर के किसी कोने में दबा दें। माना जाता है कि इससे आर्थिक स्थिति जल्दी सुधरती है।


 

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