हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को महेश नवमी कहा जाता है। इस तरह ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 08 जून को सुबह 08 बजकर 20 मिनट से प्रारंभ होगी, जो कि 9 जून को सुबह 08 बजकर 21 मिनट तक रहेगी।
ज्येष्ठ शुक्ल नवमी तिथि पर माहेश्वरी समाज की उत्पत्ति हुई थी। इसलिए हर साल माहेश्वरी समाज द्वारा महेश नवमी का पर्व मनाया जाता ह
यह माना जाता है कि महेश नवमी पर भोलेनाथ व माता पार्वती की विधिवत पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस दिन भगवान शिव की कृपा से भक्तों को पापों से मुक्ति मिलने की मान्यता है।
महेश नवमी पर सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें और इसके बाद घर के पूजन स्थल पर में दीप प्रज्वलित करें। भगवान गणेश की पूजा- अर्चना के बाद भगवान शिव और माता पार्वती को पुष्प अर्पित करें और गंगा जल से अभिषेक करें। फिर भोग लगाकर आरती करें।
महेश नवमी पर मंदिर में शिवजी को सफेद वस्त्र व देवी पार्वती को लाल वस्त्र अर्पित करें। विधि-विधान से पूजा करने के बाद दोनों वस्त्रों का गठबंधन कर दें।
मान्यता है कि ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है। विवाह में आ रही बाधाओं को भी दूर करने के लिए ये उपाय किया जाता है।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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