Published By:धर्म पुराण डेस्क

बारिश में आयुर्वेद और आहार विहार से ऐसे बनायें अपनी सेहत 

AYURVEDIC DIET AND LIFESTYLE TIPS TO STAY FIT DURING MONSOON

बारिश में आयुर्वेद और आहार विहार से ऐसे बनायें अपनी सेहत 

 

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बारिश में जहां वात और कफ कुपित होते हैं, वहीं जल के अम्लपाक होने से पित्त कुपित होता है। इसलिए वर्षा ऋतु में वमन, विरेचन कर्म करके आस्थापन और अनुवासन वस्ति करके सबसे पहले कोष्ठ की शुद्धि कर लेना चाहिए। इस ऋतु में आहार-विहार पर विशेष ध्यान देकर ही रोगों से दूर रहा जा सकता है। अतः दिन में सोना, नदी का पानी पीना, अधिक मैथुन, अधिक देर धूप में रहना तथा भारी व्यायाम नहीं करना चाहिए। इस ऋतु में खानपान में शहद का उपयोग अवश्य करना चाहिए।

वर्षा ऋतु में जब लगातार बारिश हो रही हो, तेज हवा चल रही हो तथा वातावरण में ठंडक हो, तब वात दोष को शांत करने के लिए खट्टे,नमकीन तथा घी-मक्खन आदि से बने पदार्थों का सेवन तथा सोंठ मिला पानी पीना चाहिए। इस ऋतु में जठराग्नि पाचकाग्नि की रक्षा के लिए जौ, गेहूं, पुराने चावल तथा घी से बना सूप पीना चाहिए।

पत्तेदार शाक खाना चाहिए। इस ऋतु में सादा भोजन, जैसे जौ या गेहूं की रोटी, अरहर या मूंग की दाल, लौकी, कुम्हड़ा, पपीते की सब्जी या पका पपीता सेवनीय है। इसके अलावा शहद मिलाकर द्राक्षासव या पानी का सेवन करना चाहिए। इस ऋतु में आकाश से गिरा स्वच्छ जल अथवा कुएं या नल के पानी को उबालने के बाद ठंडा करके पीना चाहिए।

इस ऋतु में शरीर पर तेल की मालिश या उबटन लगाना. सुगंधित द्रव्य, जैसे चंदन, अगरु का शरीर पर लेपन, सुगंधित फूलों की माला पहनना, स्नान करना तथा हल्के और स्वच्छ सूती वस्त्रों को पहनना हितकर है। वर्षा ऋतु में घर को सूखा एवं स्वच्छ रखना चाहिए। सील युक्त, अंधेरे कक्षों में, जहां पर ठंडी हवा तथा फुहारें पड़ती हों और मच्छर, मक्खी, चूहों की अधिकता हो, वहां रहना उपयुक्त नहीं है।

कमरों को अंगीठी इत्यादि से गर्म रखने का प्रयास करना चाहिए। वर्षा ऋतु में कीड़े-मकोड़े, सांप बिच्छू आदि के बिलों में पानी भर जाने के कारण वे घर के भीतर प्रवेश कर जाते हैं। अतः जमीन पर सोना त्याग देना चाहिए। घर में और घर से बाहर नंगे पैर नहीं जाना चाहिए। सोने के पूर्व बिस्तर को अच्छी तरह झाड़ लेना चाहिए।

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बरसते पानी में घर से बाहर निकलते समय छाता या बरसाती का उपयोग करें तथा सिर को गीला होने से बचाएं। भीगे वस्त्रों को देर तक न पहने रहें। सिर या शरीर भीग जाए, तो तुरंत सुखा लेना चाहिए। रात में अंधेरे स्थलों पर जाने में सावधानी रखें। यदि जाना ही हो, तो टार्च इत्यादि प्रकाश के उपकरण साथ रखें। अंधेरे कमरे में जाने से पहले बत्ती जला लें। कीड़े- मकोड़ों से सुरक्षा के लिए वर्षा-ऋतु में ऐसी सावधानी आवश्यक है। यदि उपरोक्त सुझावों का उपयोग किया जाए, तो वर्षा ऋतु आनंदपूर्वक व्यतीत होगी।

आयुर्वेद में सावन और भादों के दो महीने वर्षा ऋतु के लिए निर्धारित हैं। ग्रीष्म ऋतु में सूर्य की प्रचंड गर्मी से भूमि तप जाती है । फिर वर्षा ऋतु में जल बरसने पर इस तपी भूमि से जब पानी का स्पर्श होता है, तो जो गर्म भाप निकलती है, वह मानव शरीर में वात, पित्त और कफ को दूषित करती है । ग्रीष्म ऋतु में कमजोर हुई जठराग्नि वर्षा ऋतु में तीनों दोषों के कुपित हो जाने पर और भी मंद हो जाती है । 

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 आयुर्वेद के अनुसार मानसून में क्या करें और क्या न करें?

पत्तेदार साग को ज़्यादा न लें , क्योंकि बारिश के मौसम में संदूषण होता है, इसके बजाय लौकी, करेला, टिंडा, परवल, रतालू, शकरकंद, बैंगन और कद्दू का चुनाव करें।

मसालेदार और तैलीय खाद्य पदार्थ कम करें - अपच, सूजन और नमक प्रतिधारण का कारण बन सकते हैं।

खट्टे या अम्लीय खाद्य पदार्थों से भी बचना चाहिए।

बरसात के मौसम में भाप से बना और अच्छी तरह पका हुआ खाना सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है।

गाय का दूध आसानी से पच जाता है और इस मौसम में इसका सेवन किया जा सकता है।

कोशिश करें और गेहूं और मैदा को जौ और चना से बदलें।

दोपहर के भोजन में सभी छह मूल स्वाद शामिल होने चाहिए - मीठा, खट्टा, नमकीन, कड़वा, तीखा और कसैला।

गर्मी और बरसात के दिनों में आंतरायिक उपवास शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है। लेकिन ऐसा कुछ भी शुरू करने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

रात का खाना बहुत हल्का और सोने से दो घंटे पहले होना चाहिए।

लाल चने की दाल (तूअर दाल) एसिडिटी और पेट फूलने का कारण बनती है और इसका सेवन कम करना चाहिए।

मूंग दाल सबसे आसानी से पचने वाली होती है।

काले चने की दाल (उड़द की दाल) अत्यधिक पेट फूलने की दवा है।

मांस, सूअर का मांस, बीफ और मछली सहित मांसाहारी वस्तुओं का सेवन कम करना बेहतर है।

इस मौसम में शाम के समय तक ही दही का सेवन सुरक्षित रूप से किया जा सकता है

गाय के दूध से बना घी इस मौसम में बहुत अच्छा होता है क्योंकि यह पाचन में मदद करता है, प्रतिरक्षा को बढ़ाता है, तनाव से लड़ने की क्षमता बढ़ाता है और याददाश्त में सुधार करता है।

फिट रहने के लिए योग और जॉगिंग जैसे हल्के व्यायाम बहुत जरूरी हैं।

बारिश के दौरान भी हाइड्रेटेड रहें|


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अन्य सलाह 
  1.  जौ, चावल और गेहूं से बने हल्के और ताजे खाद्य पदार्थों का सेवन करें
  1.  दैनिक आहार में गाय का घी, दाल, हरे चने, चावल और गेहूं को शामिल करें।
  1.  हर भोजन से पहले अदरक के छोटे टुकड़े को सेंधा नमक के साथ सेवन करें।
  1.  सब्जियों के खट्टे और नमकीन सूप का प्रयोग करें। प्याज और अन्य सब्जियां।
  1.  ठंड के दिनों में भारी बारिश के कारण खट्टा, नमकीन और तैलीय आहार पसंद किया जाता है।
  1.  उबले और ठंडे पानी में थोड़ा सा शहद मिलाकर पीने की सलाह दी जाती है।
  1.  दैनिक आहार में अदरक और हरे चने को शामिल करने से लाभ होता है।
  1.  गर्म खाना खाना और कच्चा खाना और सलाद से परहेज करना बेहतर है।
  1.  चयापचय को और धीमा होने से रोकने के लिए अधिक मात्रा में तरल पदार्थ पीने की सलाह दी जाती है।
  1.  बासी भोजन के सेवन से बचना लाभकारी होता है।
  1.  मानसून के दौरान पत्तेदार सब्जियों के सेवन से बचना चाहिए।
  1.  मानसून के दौरान दही, लाल मांस और किसी भी खाद्य पदार्थ से परहेज करना अच्छा होता है, जिसे पचने में अधिक समय लगता है। दही की जगह छाछ का सेवन कर सकते हैं।
  1.  मानसून के मौसम में सेंधा नमक के साथ हरीतकी/हरड़ (टर्मिनलिया चेबुला) का सेवन सेहत के लिए फायदेमंद होता है।

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