प्रत्येक हिंदू-घर में जो भी कार्य हम सर्वप्रथम आरम्भ करते हैं, वह गणेश जी का नाम लेकर ही करते हैं। इसलिए कि उसमें कोई विघ्न न आये और कार्य सफल हो जाए। चाहे हम गणेश जी की विधिवत पूजा से अपना कार्य आरम्भ करें, चाहे पूजा न करके भी, गणेश जी का नाम-स्मरण ही कल्याणकारी है।
व्यवसायी लोग अपने व्यवसाय के आरम्भ में और माता-पिता अपने बालकों के विद्यारम्भ में गणेश जी का पूजन अवश्य करते हैं। व्यावसायिक बही खातों के या पुस्तकों के प्रथम पृष्ठ पर 'श्री गणेशाय नमः यह मांगलिक वाक्य सर्वप्रथम अवश्य लिखा जाता है। पार्वती - शिव-तनय सर्वाग्रे पूज्य गणेश जी की इस गरिमा का हेतु रामचरितमानस में संत तुलसीदास जी बताते हैं|
'महिमा जासु जान गनराऊ। प्रथम पूजिअत नाम प्रभाऊ ।।
इसके विषय में कथानक इस प्रकार है। एक बार देवताओं में इस बात की होड़ लगी कि जो कोई देवता पृथ्वी की परिक्रमा सर्वप्रथम कर लेगा, वही आदि पूज्य होगा। सभी देवता उस दौड़ में सम्मिलित हुए। जिसमें श्रीगणेश भी थे; किंतु उनको कोई अभिमान नहीं था; वे जानते थे कि मेरे वाहन श्री मूषक जी हैं, जिनकी चाल बहुत धीमी है; भला, इनके द्वारा पृथ्वी की परिक्रमा कैसे हो सकेगी? लेकिन गणेशजी 'राम-नाम के प्रभाव को जानते थे।
'राम-नाम के द्वारा कौन-सी सिद्धि प्राप्त नहीं हो सकती ? उन्होंने तुरंत यह कार्य किया कि पृथ्वी पर ही राम-नाम लिख दिया। ‘राम' से सारा विश्व ही ओत प्रोत है और उसी राम-नाम लिखी हुई पृथ्वी की उन्होंने अपने मूषक सहित परिक्रमा कर दी।
इस प्रकार उनके द्वारा पूरी पृथ्वी की परिक्रमा सम्पन्न हो गयी। इस रीति से देवताओं की परिक्रमा की होड़ में वे सर्वप्रथम आ गये। बुद्धि से कौन-सा काम कठिन है? राम-नाम का प्रभाव और साथ-साथ उसमें बुद्धि का समावेश- इन दोनों के द्वारा श्री गणेश जी सर्वप्रथम पूज्य एवं वन्द्य हो गये।
राम-नाम स्वयं एक महामंत्र है, जिसे जपने से कोई भी ऐसी सिद्धि नहीं है, जो प्राप्त नहीं हो सकती? संत तुलसीदास राम-नाम की महत्ता को जानने और समझने वाले थे। अपनी रचना रामायण में जहां उन्होंने राम-नाम की महत्ता का वर्णन किया है, वहाँ स्पष्ट शब्दों में स्वीकार किया है कि 'राम-नाम-जप का ही यह प्रभाव था, जिसके द्वारा श्री गणेश जी समस्त देवता समूह में सर्वप्रथम पूजनीय हो गये।'
यही गणेश जी की महिमा है, जिसके कारण हम सर्वप्रथम अपने सभी मंगल-कार्य में 'श्रीगणेशाय नमः बोलते और लिखते हैं तथा हमारे सभी मंगल-कार्यों में प्रारम्भ करने का पर्यायवाची शब्द 'श्री गणेशाय नमः बन गया है।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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