Published By:धर्म पुराण डेस्क

मांगलिक दोष उपाय

मांगलिक दोष-

मांगलिक दोष तथा परिहार ..

अगर आपने "ज्योतिष चक्र पत्रिका का पूरी लगन से अध्ययन किया होगा तो आपको यह अवश्य मालूम होगा कि मांगलिक दोष क्या होता है। फिर भी हम आपकी सहूलियत के लिये इसका जिक्र कर ही दे रहे है।

अगर किसी जातक या जातिका की कुंडली के लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम या द्वादश भाव में मंगल विराजमान हो तो यह मांगलिक दोष बन जाता है जो वैवाहिक जीवन को प्रभावित करता है। 

अर्थात् मांगलिक दोष का प्रभाव व्यक्ति के दाम्पत्य जीवन पर पूरी तरह से पड़ता है। हालांकि इसका प्रभाव जीवन के अन्य क्षेत्रों पर भी पड़ता है। लेकिन मुख्य रूप से यह वैवाहिक या दाम्पत्य जीवन को प्रभावित करता है।

जहां समस्याएं होती हैं, वहां समाधान भी होता है। अतः जन्म कुण्डली में जब मांगलिक दोष हो तो उसका इसमें ही परिहार भी होता है। कुछ विशेष परिस्थितियों में मांगलिक दोष का परिहार हो जाता है या यह शांत हो जाता है। 

आईये इस पर हम चर्चा करते हैं। इन योगों में मांगलिक दोष का परिहार या शांत हो जाता है।

अगर जन्म कुण्डली के केन्द्र में चन्द्रमा व मंगल की युति हो तो इस परिस्थिति में मांगलिक दोष का परिहार हो जाता है।

विवाह हेतु वर व कन्या की जन्म कुंडली में यदि 1, 4, 7, 8 व 12वें भाव में शनि हो तो इस परिस्थिति में मांगलिक दोष शांत हो जाता है।

→ यदि कन्या की कुण्डली में जहां मंगल हो उसी स्थान पर वर की कुंडली में कोई पापी ग्रह हो तो मांगलिक दोष समाप्त हो जाता है। ऐसी स्थिति में वर और कन्या का विवाह कर देना चाहिये।

→ अगर मेष राशि का मंगल लग्न में या वृश्चिक राशि का मंगल चौथे भाव में या मकर का षष्ठवें या कर्क का आठवें भाव में राहु अथवा मंगल या संग हो तो मांगलिक दोष समाप्त हो जाता है।

→ अगर वर व कन्या की जन्म कुंडली में यदि 1, 4, 7, 8 12वें भाव में शनि हो तो वैसे जातकों का मांगलिक दोष शांत हो जाता है। 

→ अगर कुंडली के दूसरे भाव में चन्द्रमा और शुक्र हो, मंगल-गुरु की युति हो या गुरु पूर्ण दृष्टि से मंगल को देखता हो तथा केन्द्र भाव में राहु या मंगल संग हो तो मांगलिक दोष समाप्त हो जाता है।

→ अगर वर की कुंडली में मांगलिक दोष हो और कन्या की कुंडली में मांगलिक दोष न हो या दोनों की कुंडली में से एक की कुंडली में मांगलिक दोष हो और दूसरे में न हो परन्तु उस कुंडली में मंगल से सप्तम घर का स्वामी 6, 7, 12वें भाव में कुंडली में मंगल से सप्तम भाव का स्वामी 6, 8, 12वें भाव में हो तो मांगलिक दोष का नाश हो जाता है।
 

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