Published By:धर्म पुराण डेस्क

मार्गशीर्ष मास प्रारंभ: इस माह में श्रीकृष्ण और शंख की पूजा करने का है बड़ा महत्व

स्नान और दान करने से मिलेगा अक्षय पुण्य ..

मार्गशीर्ष मास शुरू हो गया है। इस महीने में सुख-समृद्धि के लिए शंख और माता लक्ष्मी की पूजा करने की परंपरा है। साथ ही सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए। इससे सभी प्रकार के दोषों से भी मुक्ति मिलती है। यह माह 24 नवंबर से 23 दिसंबर तक रहेगा। इस मास में किए गए स्नान, दान, व्रत और पूजा से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

भगवान श्रीकृष्ण का प्रिय मास होने के कारण मार्गशीर्ष मास में यमुना नदी में स्नान करने का विधान शास्त्रों में वर्णित है। इससे सभी प्रकार के दोष दूर हो जाते हैं। इस मास की पूर्णिमा को चंद्रमा मृगशिरा नक्षत्र में होता है। इसलिए इसे मार्गशीर्ष कहा जाता है।

मार्गशीर्ष मास की दोनों एकादशी विशेष है-

मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी 4 दिसंबर को और कृष्ण पक्ष की एकादशी 19 दिसंबर को है। इन तिथियों पर भगवान विष्णु की विशेष पूजा का विधान है। 

एकादशी व्रत पूरे विधि-विधान, आस्था और आस्था के साथ किया जाता है। इस व्रत के प्रभाव से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस व्रत से अश्वमेध यज्ञ, तीर्थ स्नान और दान के पुण्य से भी अधिक पुण्य की प्राप्ति होती है।

सुख-समृद्धि के लिए शंख और लक्ष्मी पूजा-

इस माह में शंख पूजा करने की परंपरा है। मार्गशीर्ष मास में किसी भी शंख की भगवान कृष्ण के पांचजन्य शंख के रूप में पूजा की जाती है। इससे भगवान श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं। साथ ही इस माह में मां लक्ष्मी की पूजा भी करनी चाहिए। 

शंख को लक्ष्मी का भाई माना जाता है। इसलिए लक्ष्मी पूजा में शंख को विशेष रूप से रखा जाता है। लक्ष्मी जी और शंख की पूजा करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। इस माह में हर दिन श्रीकृष्ण के बाल रूप में पूजा करनी चाहिए।

सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व-

मार्गशीर्ष मास में सूर्य देव की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार इस मास के रविवार को उगते हुए सूर्य को जल चढ़ाने से सभी प्रकार के दोष और पाप नष्ट हो जाते हैं। मार्गशीर्ष मास में रविवार के दिन बिना नमक का व्रत करना चाहिए। ऐसा करने से कुंडली में ग्रहों और नक्षत्रों का अशुभ प्रभाव कम होता है।


 

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