Published By:धर्म पुराण डेस्क

चमत्कारिक-रहस्मयी आकृति, जानिये क्यों ख़ास है गढ़मुक्तेश्वर का प्राचीन गंगा मंदिर

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है. इस दिन विधि- विधान से शिव की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व माना जाता है। 

माना जाता है कि शिव की कृपा से व्यक्ति को सभी तरह के दुख-दर्द से मुक्ति मिल जाती है और जीवन सुखमय हो जाता है। 

चलिए आज बात करते हैं एक ऐसे रहस्यमयी शिव मंदिर के बारे में जो भक्तों के लिए काफ़ी ख़ास हैं! श्रावण के महीने में तो इस मंदिर में शिवलिंग की एक झलक पाने के लिए दूर-दूर से भक्तों की भीड़ उमड़ती है. तो आइए जानते हैं इस रहस्यमयी मंदिर के बारे में..!

उत्तर प्रदेश का चमत्कारी शिवलिंग-

देश के रहस्यमयी शिव मंदिरों में से एक है उत्तर प्रदेश के गढ़मुक्तेश्वर का प्राचीन गंगा मंदिर..! इस प्राचीन मंदिर में स्थापित मां गंगा की प्रतिमा का आकार लगभग आदमकद है. इसके अलावा यहां एक चार मुख वाली ब्रह्मा जी की सफेद प्रतिमा भी है. 

ब्रह्मा जी की इसी तरह की दूसरी प्रतिमा राजस्थान के पुष्कर क्षेत्र में भी है, जो काले रंग की है. इसके अलावा इस मंदिर में एक चमत्कारी शिवलिंग भी है. जो काफ़ी रहस्यमयी है। 

गढ़मुक्तेश्वर का गंगा मंदिर बेहद प्राचीन है। इस मंदिर की स्थापना किसने और कब की, इसके बारे में कोई सटीक जानकारी उपलब्ध नहीं है. गढ़मुक्तेश्वर में प्राचीन गंगा मंदिर के दर्शन के लिए 101 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है। 

अपने आप दिखाई देती है विशेष आकृति- 

इस मंदिर में कार्तिक मास में शिवलिंग के दर्शन का विशेष महत्व है, लेकिन सावन के महीने में भी यहां भक्तों की लंबी कतारें लगी रहती हैं. मंदिर में स्थित शिवलिंग के बारे में एक कथा प्रचलित है कि हर वर्ष कार्तिक मास में एक विशेष आकृति इस पर अपने आप अंकुरित होती हुई दिखाई देती है. 

कहा जाता है कि शिवलिंग पर वह आकृति हर बार अलग-अलग आकार और रूप में प्रकट होती है। इस रहस्य के बारे में आज भी कई विशेषज्ञ और वैज्ञानिक नहीं बता पा रहे हैं.

पानी में पत्थर फेंकने जैसी आवाज-

गढ़मुक्तेश्वर में प्राचीन गंगा मंदिर काफी ऊंचाई पर स्थित है और यहां की सीढ़ियां बेहद रहस्यमयी पत्थरों से बनी हुई हैं। जब कोई इन सीढ़ियों पर चढ़ता है उसे पानी में पत्थर फ़ेकने जैसी आवाज सुनाई देती है. प्राचीन समय में गंगा नदी का पानी इस मंदिर की सीढ़ियों तक पहुंच जाता था लेकिन अब लगभग काफी दूर ही रहता है।


 

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