Published By:अतुल विनोद

बांग्लादेश में मिला चमत्कारी शिव मंदिर; आग के गड्ढे को देखकर वैज्ञानिक हुए हैरान

यह मंदिर पूरी दुनिया में आश्चर्य का केंद्र भी बना हुआ है। बांग्लादेश हिंदू यूनिटी काउंसिल ने अग्निकुंड महादेव मंदिर की कुछ तस्वीरें साझा की थी। तस्वीरों के साथ इन्फोर्मेशन  देते हुए परिषद ने लिखा, 'अग्निकांड महादेव मंदिर। यह महादेव का प्राचीन मंदिर है जो चिट्टा गांव में स्थित है। इस मंदिर से हमेशा आग की एक अग्नि ज्वाला निकलती रहती है। अभी तक कोई भी पुरातत्वविद इस आग के सोर्स का पता नहीं लगा पाया है।' तस्वीरों में मंदिर के अग्निकुंड में आग की ज्वाला को देखा जा सकता है जिसे देखकर कई लोगों ने कमेंट में लिखा- हर हर महादेव।
भगवान शिव को तीनों लोकों का स्वामी कहा जाता है। बांग्लादेश में एक प्राचीन शिव मंदिर मिला है। इस मंदिर में लगे अग्निकुंड को देखकर वैज्ञानिक भी हैरान हैं।
प्राचीन शिव मंदिर
शिव, शंकर या भोलेनाथ हिंदू संस्कृति में प्रमुख देवताओं में से एक के रूप में जाने जाते हैं। भगवान शंकर को पृथ्वी, नरक और स्वर्ग तीनों लोकों का स्वामी कहा जाता है। इसलिए भगवान शिव के मंदिर न केवल भारत में बल्कि पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, श्रीलंका, तिब्बत जैसे विभिन्न स्थानों में पाए जाते हैं। इस बीच, बांग्लादेश में एक प्राचीन शिव मंदिर वर्तमान में शहर की चर्चा है। इस मंदिर में एक अग्निकुंड है। गौरतलब है कि यह आग पिछले कई सदियों से जल रही है। इस अग्निकुंड से लगातार निकलने वाली ज्वाला का ऊर्जा स्रोत क्या है? यह बात अभी तक वैज्ञानिक भी नहीं जानते हैं। लेकिन चमत्कारी शिव मंदिर के रूप में अब भक्त यहां दर्शन के लिए उमड़ रहे हैं।
दरअसल, इस अद्भुत मंदिर के बारे में किसी को ज्यादा जानकारी नहीं थी। इसका इतिहास क्या है? इस बारे में अभी तक कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिली है। 
इस मंदिर की चमत्कारी बात वह लपटें हैं जो लगातार अग्निकुंड में जल रही हैं। इस लौ का ऊर्जा स्रोत क्या है? क्या वहां कोई जीवित ज्वालामुखी है? इस सवाल का जवाब फिलहाल खोजा जा रहा है। हालांकि अभी तक वैज्ञानिकों को इस बारे में कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिली है। लेकिन यह मंदिर अब शिव भक्तों के बीच काफी लोकप्रिय हो गया है। इस मंदिर के दर्शन के लिए दुनिया भर से लोग आ रहे हैं। ऐसा ही एक प्राचीन मंदिर पहले कंबोडिया में मिला था। इसे दुनिया के सबसे बड़े विष्णु मंदिरों में से एक कहा जाता है। यूनेस्को की एक विशेष टीम भी मंदिर पर शोध कर रही है।
 

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