 Published By:धर्म पुराण डेस्क
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जिस प्रकार से लौकिक माता अपने बालक को प्रेम और स्नेह से चलना सिखाती है, वैसे ही दिव्य माता बाल आत्माओं (अविकसित जीव) को भी साधना-पथ पर संतुलन बनाये रखने एवं आगे बढ़ने की कला सिखलाती है।
प्रत्येक व्यक्ति के हृदय की गहराई में दिव्य माता निवास करती है। वही मूलतः आत्मशक्ति है जो ज्ञानशक्ति, इच्छाशक्ति और क्रियाशक्ति के रूप में स्वयं को अभिव्यक्त करती है। देवी महात्म्य में निम्नांकित शब्दों से देवता देवी की प्रार्थना करते हैं:-
या देवी सर्वभूतेषु विष्णुमायेति शब्दिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
"उस देवी को नमस्कार है, बार-बार नमस्कार है जो सभी प्राणियों में वर्तमान वैष्णो माता कहलाती है।" आगे देवता देवी की स्तुति इस प्रकार से करते हैं," "उस देवी को पुनः पुनः नमस्कार है जो सभी प्राणियों में चेतना, बुद्धि, क्षुधा, छाया, शक्ति, तृष्णा, क्षमा, जाति, लज्जा, कृपा, श्रद्धा, सुन्दरता, समृद्धि, दया, संतोष, माया और भ्रान्ति रूप में वर्तमान है। जो देवी सर्वभूतों के एकमात्र आधार और पोषक हैं उन्हें हमारा बार-बार नमस्कार है।"
उपरोक्त प्रार्थना में देवी के विभिन्न रूपों का वर्णन है। प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में इन सबों की अभिव्यक्ति होती है। माता अपने पुत्रों - आध्यात्मिक साधकों को बाह्य और आंतरिक रूप से मार्गदर्शन करती है। सम्पूर्ण प्रकृति उनके लिए क्रीड़ास्थल है तथा पृथ्वी, अंतरिक्ष और स्वर्ग सहित समस्त लोक उनकी ही महिमा को प्रकट कर रहे हैं। बाल आत्माओं को निर्देश देने का उनका तरीका भी बहुत रहस्यमयी और अलौकिक है।
तामसिक और आसुरी स्तर पर उठने वाली बाधाओं को विनष्ट करने के लिए वे अत्यंत भयावह दुर्गा के रूप में प्रकट होती हैं। वे ही लौकिक, पारलौकिक और आध्यात्मिक समृद्धि प्रदान कराने वाली महालक्ष्मी हैं।
सरस्वती के रूप में यही देवी हंसारूढ़ हो अत्यंत आकर्षक और शुभ्र रूप धारण कर अमरत्व प्रदान कराने वाले ज्ञान से साधक के अन्तर्मन को प्रकाशित करती हैं।
स्वामी ज्योतिर्मयानंद जी के अनुसार देवी माता की अनन्त विभूतियाँ और अभिव्यक्तियाँ हैं। कभी भयानक, कभी मोहिनी और आकर्षक। कभी भ्रामक एवं प्रलोभी। कभी संहारक और कभी अत्यंत उत्कृष्ट एवं प्रेरक रूपों में देवी माँ साधकों के समक्ष प्रकट होती हैं।
जीवात्माओं को ईश्वर की ओर अधिक तीव्र गति से प्रगति कराने के उद्देश्य से देवी माँ विभिन्न परिस्थितियों की चादर ओढ़ कर सामने आती हैं। करुणामयी कितनी ममतामयी हैं। देवी!!
 
 
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