Published By:धर्म पुराण डेस्क

नादयोग, शिव पुराण में नौ ध्वनियाँ

शिव पुराण के अनुसार, नादयोग में साधक को नौ अलग-अलग प्रकार की ध्वनियाँ सुनाई पड़ती है, जो उसकी आध्यात्मिक साधना को मार्गदर्शन करती हैं। ये ध्वनियाँ साधक को उन्नत साधना की दिशा में प्रेरित करती हैं।

समुद्र गर्जन जैसा घोष: इस ध्वनि का तात्पर्य समुद्र की गर्जन से है, जिससे साधक को अपने आत्मा के अद्वितीय स्वरूप का आदान-प्रदान होता है।

कसि के बर्तन पर चोट से होने वाली झनझनाहट: यह ध्वनि साधक को आत्मा के साक्षात्कार की दिशा में चेतना कराती है।

तुरही बजने जैसी आवाज: इस आवाज से तात्पर्य ध्यान की स्थिति में प्रवृत्त होने से है, जिससे साधक को अपने मन को नियंत्रित करने में सहायकता होती है।

घंटानाद: यह ध्वनि साधक को आत्मा के साक्षात्कार में प्रवृत्त करती है, जिससे उसे अपने आत्मा के अद्वितीय स्वरूप का अनुभव होता है।

वीणा ध्वनि: इस ध्वनि से तात्पर्य साधक को आत्मा के सुंदरता और सामर्थ्य का अनुभव होता है, जिसे उसे अपने आत्मा के साक्षात्कार के साथ मिलता है।

वंशी ध्वनि: इस ध्वनि से साधक को आत्मा के सुरपूर्णता का अनुभव होता है, जिससे उसे अपने आत्मा के साक्षात्कार की स्थिति में पहुंचने का मार्ग प्रदान होता है।

नगाड़े जैसी ध्वनि: इस ध्वनि से साधक को आत्मा के अद्वितीयता का अनुभव होता है, जिससे उसे अपने आत्मा के साक्षात्कार में सहायकता होती है।

शंख ध्वनि: इस ध्वनि के माध्यम से साधक को आत्मा के अद्वितीय स्वरूप का आदान-प्रदान होता है, जो उसे अपने आत्मा के साक्षात्कार की दिशा में प्रेरित करता है।

मेघ गर्जना: इस ध्वनि से साधक को अपने आत्मा के अद्वितीय स्वरूप का अनुभव होता है, जिससे उसे आत्मा के अद्वितीयता में प्रवृत्त होने का मार्ग प्रदान होता है।

सर्वोपरि, ये ध्वनियाँ साधक को आत्मा के साक्षात्कार में मार्गदर्शन करती हैं, जो उसे आत्मा के अद्वितीय स्वरूप का अनुभव करने में सहायक होती हैं। हर एक ध्वनि उसके आत्मा के साक्षात्कार में विशेष भूमिका निभाती है और उसे अद्वितीय ब्रह्म सत्य की अनुभूति का अवसर प्रदान करती है।

धर्म जगत

SEE MORE...........