Published By:धर्म पुराण डेस्क

नागमणि और पारसमणि: एक भ्रम का सच

नागमणि:

नागमणि वह अद्वितीय रत्न है जो दिव्य नागों के मस्तक पर स्थित होता है। यह दिव्य नागों के शीश पर रहने से प्रकट होने वाला है और इसकी चमक मुख्यतः दिव्यता और प्राकृतिकता में होती है। नागमणि का प्रकाश बहुत अद्वितीय होता है और इसका श्रेष्ठतम रूप है।

पारसमणि (पारस पत्थर):

पारसमणि एक ऐसा रत्न है जो लोहे से स्पर्श होते ही सोने में बदल जाता है। यह रत्न तब तक चमकता रहता है जब तक वह मणिधर नाग के साथ होता है। इसका प्रकाश स्वतंत्र रूप से नष्ट हो जाता है और यह बेडौल और मटमैले रंग का हो जाता है, हालांकि इसमें लोहे को सोने में बदलने की क्षमता बनी रहती है।

विवाद का समाधान:

नागमणि और पारसमणि दोनों ही अलग-अलग रत्न हैं। नागमणि दिव्य नागों के साथ जुड़ा हुआ है और इसकी चमक उनकी दिव्यता को दर्शाती है, जबकि पारसमणि लोहे को सोने में बदलने की अद्वितीय क्षमता रखती है।

सारांश:

नागमणि और पारसमणि दोनों ही रहस्यमय और आध्यात्मिक रत्न हैं, लेकिन उनके गुण और विशेषताएं अलग-अलग हैं। इसे समझने से ही लोग इस भ्रम से मुक्त हो सकते हैं और यह जान सकते हैं कि प्राकृतिक धन की अद्भुतता में भिन्नता है।

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