Published By:धर्म पुराण डेस्क

नासा स्त्राव (नकसीर) कारण और बचाव.. 

नकसीर को आयुर्वेदिक चिकित्सा में नासा रक्त स्त्राव कहते हैं।

ग्रीष्मकाल में शरीर में अधिक ऊष्मा  कारण रक्त वाहिनियों में रक्त का तीव्र संचार होने लगता है। दबाव असहनीय होने पर यही रक्त नाक के माध्यम से बाहर निकल आता है। यह क्रिया नकसीर अथवा नासा रक्तस्राव कहलाती है।

सामान्यतः नकसीर के शिकार गर्म प्रकृति के लोग होते हैं। जो धूप अथवा गर्म प्रकृति के खाद्य पदार्थों के उपयोग के कारण नकसीर का शिकार बनते हैं। कई बार अनियमित मासिक-धर्म की शिकार स्त्रियों में मासिक स्राव नाक के माध्यम से होता है, क्योंकि मासिक धर्म के समय स्त्राव होने वाले रक्त की प्रकृति (तासीर) गर्म होती है।

नकसीर से बचने के लिए जितना संभव हो सके तेज धूप और गर्म हवा की चपेट से बचना चाहिये। गर्मी के मौसम में अधिक चाय, कॉफी, शराब, सिगरेट अथवा तैलीय खाद्य पदार्थों, गुड़, रात्रि जागरण और शुष्क भोजन का त्याग करना चाहिये।

ग्रीष्म ऋतु में ब्रह्मचर्य ठंडाई, फालसा, मौसमी, संतरा, अंगूर, शरबत, इमली तथा केरी (कच्चा आम) - पना, दलिया, खिचड़ी, दही की लस्सी आदि का उपयोग करना चाहिये। इसके अलावा इस मौसम में लौकी, ककड़ी, तोरई, पालक, पुदीना, नींबू आदि का उपयोग अधिक करना चाहिये।

सावधानी – नासिका से रक्तस्राव होता है तो उसे शीघ्र रोका नहीं जाना चाहिए अन्यथा यह निकलने वाला रक्त तंत्रिका तंत्र के अन्य भागों पर अपना प्रभाव डालेगा, जिससे अधिक स्वास्थ्य-हानि होने की सम्भावना रहती है।

उपचार – आयुर्वेदिक चिकित्सा के अन्तर्गत नकसीर के अनेक उपचार मिलते हैं। नाक से रक्त गिरने पर सबसे पहले सिर पर पानी डालकर रोगी को लिटा देना चाहिये।

1. गूलर (Ficus glomerata)- का उपयोग करने से नासा स्राव अथवा देह के अन्य भाग से गिरने वाला रक्त गिरना बंद हो जाता है। 

2. फालसा ( Grewia asiatica) के रस में मिश्री या शक्कर मिलाकर पीने से रक्त की ऊष्मा और पित्त का नाश होता है तथा नकसीर आनी बंद हो जाती है। 

3. आम (Mongitera Indica) की गुठली की गिरी को पीसकर बनाये रस को नासिका में डालने पर नकसीर बंद हो जाती है।

4. मिट्टी के ढेले पर पानी डालकर सूंघने से लाभ होता है। 

5. गन्ने (Sugarcane)-के रस को नाक में डालने पर तेज धूप, अधिक मिर्च सेवन करने आदि के कारण आने वाला रक्त रुक जाता है।

6. अनार (Punica granatum) दाने के रस दस तोले में दो-तीन तोले मिश्री मिलाकर पीने से ग्रीष्मकाल में नाक से आने वाले रक्त को रोका जा सकता है।

7. आँवले (Phyllanthus emblica) का रस पिलाने अथवा आंवला चूर्ण और घी में सिके आंवले को मही (मट्ठा) के साथ लेने से रक्तस्राव रुक जाता है।

8. काली मिर्च (Piper nigrum) को दही और पुराने गुड़ के साथ खाने से नकसीर बंद हो जाती है। 

9. केला (Plantain)- आंवले का चूर्ण तथा शक्कर को मिलाकर खाने से नाक से गिरने वाला रक्त रुक जाता है।

10. मुँह, नाक, कफ तथा पेशाब से आने वाले रक्त को पाँच-सात रत्ती फिटकरी (Alum) शहद या मिश्री के साथ लेने पर गिरने वाला रक्त रुक जाता है।

(मधुसूदन भार्गव)


 

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