Navratri 2023: शारदीय नवरात्रि के 9 दिन मां दुर्गा को समर्पित हैं. नवरात्रि में मां दुर्गा की भक्ति भाव से पूजा की जाती है. मान्यता है कि नवरात्रि पर कलश स्थापित करके माताजी की पूजा करने से जीवन की सभी कठिनाइयां समाप्त हो जाती हैं और सुख-समृद्धि आती है.
नवरात्रि में 9 दिनों तक दुर्गा चालीसा का पाठ करना फलदायी माना जाता है. इसका समापन आरती के साथ किया जाता है. इस कारण से दुर्गा चालीसा और माताजी की आरती करते हैं.
दुर्गा चालीसा-
नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो अंबे दुःख हरनी॥
निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूं लोक फैली उजियारी॥
शशि ललाट मुख महाविशाला। नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥
रूप मातु को अधिक सुहावे। दरश करत जन अति सुख पावे॥
अन्नपूर्णा हुई जग पाला। तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥
प्रलयकाल सब नाशन हारी। तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें। ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥
धरयो रूप नरसिंह को अम्बा। परगट भई फाड़कर खम्बा॥
रक्षा करि प्रह्लाद बचायो। हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं। श्री नारायण अंग समाहीं॥
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी। महिमा अमित न जात बखानी॥
मातंगी अरु धूमावति माता। भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥
श्री भैरव तारा जग तारिणी। छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥
कर में खप्पर खड्ग विराजै। जाको देख काल डर भाजै॥
सोहै अस्त्र और त्रिशूला। जाते उठत शत्रु हिय शूला॥
नगरकोट में तुम्हीं विराजत। तिहूं लोक में डंका बाजत॥
महिषासुर नृप अति अभिमानी। जेहि अघ भार मही अकुलानी॥
रूप कराल कालिका धारा। सेन सहित तुम तिहि संहारा॥
परी गाढ़ सन्तन पर जब जब। भई सहाय मातु तुम तब तब॥
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी। तुम्हें सदा पूजे नर-नारी॥
प्रेम भक्ति से जो यश गावैं। दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई। जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥
शंकर आचारज तप कीनो। काम क्रोध जीति सब लीनो॥
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को। काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥
शक्ति रूप का मरम न पायो। शक्ति गई तब मन पछितायो॥
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा। दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥
मोको मातु कष्ट अति घेरो। तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥
आशा तृष्णा निपट सतावें। रिपु मुरख मोही डरपावे॥
करो कृपा हे मातु दयाला। ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला।
जब लगि जियऊं दया फल पाऊं। तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं॥
श्री दुर्गा चालीसा जो कोई गावै। सब सुख भोग परमपद पावै॥
॥ इति श्रीदुर्गा चालीसा सम्पूर्ण ॥
दुर्गा आरती-
ॐ जय अम्बे गौरी।
जय अम्बे गौरी मैया जय श्यामा गौरी।
मांग सिंदूर विराजत टीको मृगमदको।
उज्जवल से दोउ, नैना चंद्रवदन नीको॥ ॐ जय अम्बे गौरी ..
कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजे।
रक्तपुष्प गल माला कण्ठन पर साजे॥ ॐ जय अम्बे गौरी ..
केहरि वाहन राजत खड्ग खप्पर धारी।
सुर नर मुनि जन सेवत तिनके दुःख हारी॥ ॐ जय अम्बे गौरी ..
कानन कुंडल शोभित नासाग्रे मोती।
कोटिक चंद्र दिवाकर राजत सम ज्योति॥ ॐ जय अम्बे गौरी ..
शुंभ निशंभु विदारे महिषासुरधाती।
धूम्रविलोचन नैना निशदिन मदमाती॥ ॐ जय अम्बे गौरी ..
चण्ड मुण्ड संहारे शोणित बीज हरे।
मधु कैटभ दोउ मारे सुर भयहीन करे॥ ॐ जय अम्बे गौरी ..
ब्रम्हाणी रुद्राणी तुम कमलारानी।
आगम निगम बखानी तुम शिव पटरानी॥ ॐ जय अम्बे गौरी ...
चौसंठ योगिनी गावत नृत्य करत भैरुँ।
बाजत ताल मृदंगा अरु डमरुँ॥ ॐ जय अम्बे गौरी ..
तुम ही जग की माता तुम ही हो भरता।
भक्तन की दुःखहर्ता सुख सम्पत्ति कर्ता॥ ॐ जय अम्बे गौरी ..
भुजा चार अति शोभित वर मुद्रा धारी।
मनवांछित फल पावे सेवत नर नारी॥ ॐ जय अम्बे गौरी ..
कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती।
श्री मालकेतु में राजत कोटि रतन ज्योती॥ ॐ जय अम्बे गौरी ..
या अम्बे जी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी सुख संपति पावे॥
जय अम्बे गौरी मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिवरी॥ ॐ जय अम्बे गौरी ..
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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