यौवन अवस्था हर मनुष्य के जीवन का वह नाजुक समय है जिसको बहुत कम लोग ही समझते हैं। इस समय शरीर के हर अंग में जोश भरा होता है। इस समय अगर युवक अपनी इच्छाओं को वश में रखता है और नियम संयम से रहता है तो उसका स्वास्थ्य दिन प्रतिदिन अच्छा होता जाता है और वह एक स्वस्थ व आकर्षक नवयुवक बन जाता है तथा उन्नति के मार्ग पर निरंतर बढ़ता जाता है।
लेकिन दुःख की बात यह है कि अज्ञानता के कारण इस आयु में युवक बुरी संगति के कारण अपने स्वास्थ्य को नष्ट कर बैठते है एवं कई प्रकार के यौन रोगों से ग्रस्त हो जाते हैं, आजकल सर्वाधिक युवक स्वप्नदोष से पीड़ित है।
स्वप्नदोष क्या है?
★ स्वप्न में वीर्य के निकल जाने को स्वप्नदोष कहते हैं। इसे लैटिन भाषा में 'नाईट फॉल' एवं उर्दू में 'एहतलाम' कहते हैं। रोगी स्वप्न में प्रतिक्रिया करता है। किसी सुंदर स्त्री को देखता है एवं स्वप्न में भी उसी के साथ प्रतिक्रिया करता है और उसका वीर्य निकल जाता है।
आरम्भ में तो स्वप्न-दोष होते ही नींद खुल जाती है और वीर्य के निकलने का पता चल जाता है। परन्तु जब रोग अधिक बढ़ जाता है। तो रात को स्वप्नदोष होने का कुछ पता ही नहीं चलता केवल सुबह जागने पर ही पता चलता है।
स्वप्नदोष प्रायः रात को नींद में ही होता है। परंतु कई बार दिन की नींद में भी हो जाता है।
स्वप्नदोष क्यों होता है?
स्वप्नदोष का प्रमुख कारण कामुक वार्तालाप, कामुक साहित्य, कामुक दृश्य दर्शन एवं कामुक चिंतन आदि मानसिक दुष्कर्मों का होना है। युवक जागते समय कामुक दर्शन आदि क्रियाओं को करता है एवं रात में सोते समय यही सब उसके स्वप्न में आते है और वीर्य स्राव हो जाता है।
अधिक मिर्च मसालेदार भोजन खट्टा एवं बादी भोजन का अधिक मात्रा में सेवन करना भी एक प्रमुख कारण है। पुरानी कब्जियत, अफारा, गैस, हस्तमैथुन, नसों की कमजोरी, शरीर की बढ़ी हुई गर्मी आदि कारणों से भी स्वप्नदोष होता है।
स्वप्नदोष का शरीर पर क्या प्रभाव है?
यदि माह में एक या दो बार स्वप्नदोष हो तो चिंता की आवश्यकता नहीं है। यह विकार नहीं बल्कि स्वाभाविक है परन्तु सप्ताह में तीन-चार बार स्वप्नदोष होने लगे तो इसका शरीर पर बुरा प्रभाव अवश्य पड़ता है।
स्वप्नदोष की अधिकता नपुंसकता, शीघ्रपतन एवं क्षय में बदल सकता है। अधिक स्वप्नदोष होने से मनुष्य का चेहरा पीला पड़ जाता है। काम में मन नहीं लगता। स्मरण शक्ति कमजोर हो जाती है। सांस फूलने लगती है। आंखों के सामने अंधेरा छाने लगता है। वीर्य शीघ्र निकल जाता है एवं लिंगोत्थान ठीक से नहीं होता है।
स्वप्नदोष होने पर क्या सावधानी रखें?
वास्तव में स्वप्नदोष, शीघ्रपतन, नपुंसकता आदि यौन रोग कोई भूत नहीं है इसलिये इन रोगों से ग्रस्त रोगियों को घबराना नहीं चाहिए. बल्कि सावधानी से काम लेना चाहिए।
ज्वर, खांसी आदि की तरह ये भी सामान्य रोग है, उचित चिकित्सा एवं पथ्य का सेवन करने से ये भी ठीक हो जाते हैं। यह बात अच्छी तरह समझ लें कि इस प्रकार के रोगों से पीड़ित होना भी कोई पाप नहीं है। और इनकी चिकित्सा में शर्म नहीं करना चाहिए।
कई नवयुवक जो इस रोग से पीड़ित होते हैं उन्हें व्यर्थ ही यह वहम हो जाता है कि वे नपुंसक है और मैथुन के अयोग्य हैं किन्तु वास्तव में उन्हें इस प्रकार की कोई शिकायत नहीं है। वे सिर्फ मानसिक नपुंसकता से पीड़ित होते हैं।
यह मानसिक नपुंसकता शारीरिक नपुंसकता से भी भयावह है। ऐसी हालत में आवश्यकता इस बात की है कि इस प्रकार के रोगी मन से वहम और भय को बड़ी जिम्मेदारी समझदारी एवं कुशलता से निकाल बाहर किया जाये।
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